Andhra Woman Sake Bharathi Living In Abject Poverty Earned PhD In Chemistry Binary Liquid Mixtures – दिहाड़ी खेती-मजदूरी करते हुए पूरी की पीएचडी की पढ़ाई, पढ़िए भारती की कहानी
हैदराबाद:
दिहाड़ी खेती-मजदूर से केमेस्ट्री में पीएचडी की डिग्री. ये कहानी 35 साल के भारती की है. आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले की रहने वालीं साके भारती अत्यंत गरीबी में जी रही हैं. उनके गांव का नाम नागुलगुड्डेम है, जो सिंगनामाला मंडल में पड़ता है. पीएचडी तक पढ़ाई करने के बावजूद परिवार के हालात ऐसे हैं कि इन्हें खेती के अलावा दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ती है.
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साके भारती के परिवार की माली हालत खराब है. मुश्किल से दो वक्त का खाना मिल पाता है. एक तरफ इनकी मजदूरी चलती रही, तो दूसरी ओर उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी. नतीजा रहा कि उन्हें इसी 17 जुलाई को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर के हाथों पीएचडी की डिग्री मिली.
शादी के बाद भी भारती का पढ़ाई के प्रति लगाव कम नहीं हुआ. उनके पति ने ये बात समझी और पत्नी का भरपूर साथ दिया. वह एक दिन कॉलेज जाती थीं और दूसरे दिन काम पर जाती थीं. जब वे इंटरमीडिएट (एमपीसी) में थीं, तब तब उनकी दिहाड़ी 25 रुपये थी और डिग्री (बीएससी) में जाने के बाद दिहाड़ी 50 रुपये हो गई थी.
भारती कहती हैं, “मेरे मामा से मेरी शादी हुई. उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया. वह कहते थे कि गरीबी से बाहर निकलने के लिए हर लड़की को ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए.”
वहीं, भारती के पति शिवप्रसाद कहते हैं, “पढ़ाई में कई साल लग गए. अंतिम परिणाम नौकरी होना चाहिए. लेकिन यह हमारे हाथ में नहीं है. अगर यह आता है, तो हमारे सपने सच हो जाएंगे.”
भारती के प्रोफेसर डॉ. एम. सी. एस. शुभा के साथ ‘बाइनरी मिक्सचर’ विषय पर रिसर्च करने का अवसर मिला. इसके लिए मिले वजीफे से भारती को कुछ हद तक मदद मिली. हालांकि, उन्होंने काम करना नहीं छोड़ा. भारती को अब उसी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिलने की उम्मीद है, जहां से उन्होंने पीएचडी की है.