Sports

Aditya Or Vikram? Opposition Targets Eknath Shinde Government Over Naming Of Tiger Cubs – आदित्य या विक्रम? बाघ शावकों के नामकरण को लेकर विपक्ष ने एकनाथ शिंदे सरकार पर साधा निशाना


आदित्य या विक्रम? बाघ शावकों के नामकरण को लेकर विपक्ष ने एकनाथ शिंदे सरकार पर साधा निशाना

बाघ शावक का नाम रखे जाने को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक विवाद

मुंबई:

महाराष्ट्र में बाघ शावकों के नामकरण को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम के बाद तब राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया जब संभवत: ‘आदित्य’ नाम वाली एक पर्ची वापस ले ली गयी और उसकी जगह दूसरी पर्ची निकाली गयी. शिवसेना (यूबीटी) ने निशाना साधते हुए कहा कि शिंदे सरकार आदित्य ठाकरे के नाम से डरी हुई है. विपक्षी नेताओं ने इस नाम को आदित्य ठाकरे से जोड़ा है जो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी सरकार में मंत्री थे. एकनाथ शिंदे द्वारा बगावत करने के कारण पिछले साल उद्धव ठाकरे सरकार गिर गयी थी और शिवसेना विभाजित हो गयी थी. इसके बाद एकनाथ शिंदे सरकार अस्तित्व में आयी.

यह भी पढ़ें

आज छत्रपति संभाजीनगर में तब घटना तब घटी जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और राज्य के वन मंत्री मुनगंटीवार को दो नर और एक मादा शावक के नामकरण के लिए आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. इस घटना के वीडियो में दिख रहा है कि शिंदे द्वारा शीशे के कटोरे से एक पर्ची निकाले जाने के बाद अजित पवार से दूसरे कटोरे से पर्ची निकालने का अनुरोध किया गया.

पवार ने मुस्कान के साथ यह पर्ची किसी को दिखायी. पीछे से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘यह आदित्य’ है. सुझाव दिया गया कि पवार को दूसरी पर्ची निकालनी चाहिए. पवार ने फिर दूसरी पर्ची निकाली और बताया गया कि उसपर ‘विक्रम’ लिखा गया था. बाघ के तीन शावकों के नाम अंतत: श्रावणी, विक्रम और कान्हा रखा गया. लेकिन ‘आदित्य’ के कथित नाम वाली पर्ची से विपक्षी नेताओं को शिंदे सरकार को निशाना बनाने का मौका मिल गया.

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे और शिवसेना (यूबीटी) ने कहा, ‘‘ चाहे यह दुनिया (आदित्य ठाकरे का जिक्र करते हुए) हो या आसमान (सूर्य को भी आदित्य कहते हैं), कोई भी आदित्य को नहीं रोक सकता. यह सरकार उनके नाम से भी डरी हुई है.” बाद में शिंदे ने नामकरण विवाद के बारे में पूछे गये सवाल को तवज्जो नहीं दिया. उन्होंने कहा, ‘‘नामकरण समारोह के दौरान एक साथ दो पर्चियां निकाली गयी थीं . इसलिए एक पर्ची एक तरफ रख दी गयी. इससे ज्यादा इसमें कुछ नहीं है.”

मुनगंटीवार ने कहा, ‘‘ ऐसी ओछी बातें नहीं की जानी चाहिए. जंगल में पैदा हुए शावक का नामकरण नहीं किया जा सकता है, लेकिन यहां चिड़ियाघर में पैदा हुए शावक को नाम मिलता है. हम किसी आदित्य से नहीं डरे हुए हैं.” ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता इम्तियाज जलील ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘ शावकों के नाम देवेंद्र, अजित और एकनाथ भी रखे जा सकते थे.” उन्होंने इस प्रकरण को ‘राजनीति का निचला स्तर’ बताया.

ये भी पढ़ें-:

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *