Aadujeevitham 250 Sheep 20 Camels Were Brought From Saudi Arabia For Shooting Of 16 Years To Make True Story Made With Budget Of 40
नई दिल्ली:
सच्ची कहानी पर आधारित मलयालम सुपरस्टार पृथ्वीराज सुकुमारन की सर्वाइवल एडवेंचर फिल्म ‘द गोट लाइफ: आडुजीवितम’ 28 मार्च को दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है. ब्लेसी ने मलयालम साहित्य की दुनिया में सबसे लोकप्रिय और सबसे ज्यादा बिकने वाले उपन्यास ‘आडुजीवितम’ की कहानी को परदे पर उतारा है. आडुजीवितम में पृथ्वीराज सुकुमारन, अमला पॉल जैसे सितार नजर आएंगे. म्यूजिक एआर रहमान का है. फिल्म को पांच भाषाओं हिंदी, मलयालम, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में रिलीज किया जाएगा. बताया जा रहा है कि फिल्म की शूटिंग के लिए 20 ऊंट और 250 भेड़ों का इंतजाम सऊदी अरब से किया गया था.फिल्म की शूटिंग को अल्जीरिया और जॉर्डन में अंजाम दिया गया था.
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‘आडुजीवितम’ के नजीब पृथ्वीराज ने कहा, ‘यह फिल्म लगभग 16 वर्षों की यात्रा है. निर्देशक ब्लेसी 2008 में मेरे पास आए और कहा, ‘आपको नजीब की भूमिका निभानी चाहिए.’ यह तथ्य कि उन्होंने एक फिल्म पर 16 साल बिताए, उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. 2009 में इस फिल्म को करने का निर्णय लेने के बाद इसकी शूटिंग शुरू होने में दस साल लग गए क्योंकि तब मलयालम सिनेमा में ज्यादा सुविधाएं नहीं थीं. कहानी तीन या चार साल से रेगिस्तान में फंसे एक आदमी के जीवन के बारे में है. फिल्म की शुरुआत में मेरा वजन बहुत बढ़ गया. केरल में शूटिंग पूरी करने के बाद, उन्होंने सात या आठ महीने के लिए शूटिंग बंद कर दी. प्लेसी ने मुझे वजन कम करने का समय दिया. फिर हम 2020 में जॉर्डन गए और शूटिंग शुरू की. लेकिन शूटिंग के कुछ ही दिन बाद पूरी टीम वहीं फंस गई और कोरोना के कारण तीन महीने तक शूटिंग नहीं कर पाई. उसके बाद हमें नहीं पता कि शूटिंग दोबारा शुरू होगी या नहीं. दो साल बाद हमें परमिशन मिली और हम सभी एक साथ मिलकर शूटिंग के लिए अल्जीरिया, सहारा रेगिस्तान गए. फिर हम जॉर्डन गए. फिर हम केरल आए. 2022 से फिल्म के पोस्ट-प्रोडक्शन काम में डेढ़ साल लग गए. 2008 में जब मैंने इस फिल्म के लिए ओके कहा था तब मेरी शादी नहीं हुई थी और उस समय मेरे पास निर्माता या वितरक के रूप में कोई चेहरा नहीं था. अब सिनेमा खासकर मलयालम सिनेमा के लिए स्थिति अच्छी है.’
आडुजीवितम ट्रेलर
निर्देशक ब्लेसी ने कहा, ‘मैंने पिछले 20, 25 साल में रहमान सर जैसा आदमी नहीं देखा। क्योंकि जब मैंने यह कहानी शुरू की, तो मेरे पास कोई नहीं था. बड़ी प्रोडक्शन कंपनी या कुछ भी. पृथ्वीराज अब मेरे छोटे भाई जैसे हैं. जैसा कि उन्होंने कहा, इन 16 साल में उन्होंने शादी, बच्चा, प्रोड्यूसर जैसी कई चीजें देखी हैं. लेकिन वह अब भी उतने ही जुड़े हुए हैं जितने तब थे जब फिल्म शुरू हुई थी. हमारे दक्षिण भारत में कई लोग सऊदी और कुवैत जैसी कई जगहों पर गए हैं और कष्ट सहे हैं. उपलब्धियों और समझ ने पैसा कमाया है. ये फिल्म ऐसे तमाम लोगों से जुड़ी होगी. कहानी यह है कि हम अपने जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाई और तनाव का सामना करें, अगर हमारे अंदर थोड़ा विश्वास है, तो हम निश्चित रूप से अपने जीवन में सफलता देख सकते हैं.’