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What Records Were Made And What Were Broken As Chandrayaan 3 Reached The Moon?


Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने बुधवार (23 अगस्त) को चांद के साउथ पोल पर उतरने में सफलता हासिल कर ली है. इसके साथ ही चांद के इस हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया है. इससे पहले कोई भी देश चांद के साउथ पोल पर जाने में सफल नहीं हो पाया.

चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया है. हालांकि, इनमें से कोई भी देश चंद्रमा के साउथ पोल पर नहीं पहुंच सका है. भारत को तीसरी बार में ही सफलता मिल गई है. इससे पहले भारत 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया था. गौरतलब है कि चांद पर जाने का भारत का पहला मिशन चंद्रयान-1  था, लेकिन यह महज एक ऑर्बिटर था, न कि स्पेसक्राफ्ट.

चांद पर सबसे सोवियत यूनियन ने फहराया झंडा

वहीं, सोवियत यूनियन (अब रूस) का लूना 1 स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा तक पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान था. यह अंतरिक्ष यान गोले के आकार का था.  लूना 1 अंतरिक्ष यान में कोई प्रपल्शन सिस्टम नहीं था. इसके बाद सोवियत यूनियन ने 1959 में चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान और 1961 में अंतरिक्ष में पहला मानव भेजा. 

चांद पर पहुंचने वाला दूसरा देश बना अमेरिका

सोवियत यूनियन के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1966 में अपना पहला स्पेसक्राफ्ट सर्वेयर 1 चांद पर भेजा. इसके साथ ही सर्वेयर-1 चंद्रमा की सतह पर  लैंडिंग करने वाला संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला अंतरिक्ष यान बना.  सतह पर जाने के बाद सर्वेयर 1 ने अपने छह सप्ताह के मिशन के दौरान चांद की 11,100 से अधिक तस्वीरें लीं.

चीन को तीसरी बार में मिली सफलता

वहीं, भारत के पड़ोसी देश चीन ने 2007 में मिशन मून की शुरुआत की. उसने सबसे पहले 2007 चांग’ई-1 मिशन और 2010 में दूसरा मिशन चांग’ई-2 भेजा. हालांकि, ड्रैगन को 2013 में चांग’ई-3 मिशन के जरिए कामयाबी मिली और वह चांद पर स्पेसक्राफ्ट भेजने वाला तीसरा देश बन गया. इसके बाद चीन ने 7 दिसंबर 2018 को चांग’ई-4 मिशन लॉन्च किया गया जो 3 जनवरी 2019 को चांद पर उतरा. चीन का स्पेसक्राफ्ट चांद के पिछले हिस्से में उतरा. चीन ऐसा करने वाला यह पहला और एकमात्र देश बना.  

भारत का सबसे किफायती मिशन

इसरो के पूर्व चेयरमैन के सिवन के मुताबिक चंद्रयान-3 की लागत महज 615 करोड़ रुपये है. वहीं, चंद्रयान-2 में का बजट 978 करोड़ के आस-पास था, जबकि भारत पहले मून मिशन पर लगभग 2000 रुपये खर्च हुए थे.

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