Chandrayaan-3 Landing Lunar Surface Isro Vikran Lander 10 Update So Far – Chandrayaan-3 : लैंडिंग से पहले क्या है तैयारी? ISRO ने शेयर की मिशन कमांड सेंटर की फोटो
नई दिल्ली:
भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है. चंद घंटों बाद देश के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग होनी है. स्पेस एजेंसी ISRO के मुताबिक, चंद्रयान-3 शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरेगा. इसे 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. ISRO ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-3 के सभी सिस्टम नॉर्मल हैं. बेंगलुरु ऑफिस में मिशन ऑपरेशन टीम की तैयारी पूरी है. चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए देश में पूजा-पाठ और प्रार्थनाओं का दौर जारी है. दुनिया की नजर भी इसपर टिकी हुई है.
Chandrayaan-3 मिशन के 10 अपडेट:-
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इसरो के मुताबिक, शाम 5:44 बजे जैसे ही चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Landing) का लैंडर सही पोजिशन पर आएगा, टीम ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस (ALS) लॉन्च कर देगी. लैंडर के चांद पर उतरते ही रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर इससे चांद की सतह पर आएगा.
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इसरो ने मिशन कमांड सेंटर से तस्वीरें भी शेयर की हैं. बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री एंड कमांड सेंटर (इस्ट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) में 50 से ज्यादा वैज्ञानिक कंप्यूटर पर चंद्रयान-3 से मिल रहे आंकड़ों की रात भर पड़ताल में जुटे रहे. वे लैंडर को इनपुट भेज रहे हैं, ताकि लैंडिंग के समय गलत फैसला लेने की हर गुंजाइश खत्म हो जाए.
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इसरो के मुताबिक, Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे. अगर भारत इस मिशन में सफल रहा तो चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश होगा. वहीं, चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश हो जाएगा. अब तक अमेरिका, रूस(USSR) और चीन ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं.
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चंद्रयान-3 के आखिरी 19 मिनट सांसें रोक देने वाले होंगे. लैंडिंग शुरू होते समय गति 6,048 किमी/घंटा होगी. चांद को छूते समय यह 10 किमी/घंटे से भी कम होगी. उतरने के लिए स्थान का चुनाव ISRO कमांड सेंटर से नहीं होगा. लैंडर अपने कंप्यूटर से जगह का चुनाव करेगा.
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पीएम मोदी ब्रिक्स समिट के लिए साउथ अफ्रीका में हैं. लेकिन वह चंद्रयान-3 की लैंडिंग देखने के लिए वर्चुअली इसरो के साथ जुड़ेंगे. लैंडिंग का लाइव इवेंट शाम 5:20 बजे से शुरू होगा.
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चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं. अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा, तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी.
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चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में 700 करोड़ रुपये से भी कम लागत आई है. ये मिशन 615 करोड़ रुपये में फाइनल हो गया है. ये रकम हाल ही में रिलीज हुई फिल्म Oppenheimer के बजट से भी कम है. Oppenheimer फिल्म बनाने में करीब 830 करोड़ रुपये की लागत आई. वहीं, फिल्म Barbie तो चंद्रयान 3 की लागत से करीब दोगुने 1200 करोड़ रुपये में बनी है.
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चंद्रयान-3 का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था. इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है.
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चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं. लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा.
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चंद्रयान-3 के चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग बड़ी अहम मानी जा रही है. इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं. यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा.