Thawe Mandir History: Lalu Prasad Yadav And Rabri Devi Visit Thawe Temple Gopalganj Today Ann
Thawe Mandir News: सीवान-गोपालगंज मुख्य मार्ग पर थावे में मां दुर्गा का मंदिर है. करीब तीन सौ साल पूर्व स्थापित यह मंदिर प्राचीन जागृत शक्तिपीठों में से एक है. यूं तो यहां सालों भर श्रद्धालुओं का जमघट लगता है, लेकिन शारदीय और वासंतिक नवरात्र के समय यहां बिहार ही नहीं बल्कि सीमावर्ती यूपी और नेपाल के भी भक्त हजारों की संख्या में आते हैं. आज मंगलवार (22 अगस्त) को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और उनकी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) दर्शन करने के लिए जाने वाले हैं. जानिए इस मंदिर से जुड़ी कहानी और इतिहास.
चेरो वंश से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
इस जाग्रत पीठ का इतिहास भक्त रहषु स्वामी और चेरो वंश के क्रूर राजा की कहानी से जुड़ा है. 1714 के पूर्व यहां चेरो वंश के राजा मनन सेन का साम्राज्य हुआ करता था. ऐसा माना जाता है कि इस क्रूर राजा के दबाव डालने पर भक्त रहषु स्वामी की पुकार पर मां भवानी कामरूप कामाख्या से चलकर थावे पहुंचीं. उनके थावे पहुंचने के साथ ही राजा मनन सिंह का महल खंडहर में तब्दील हो गया. भक्त रहषु के सिर से मां ने अपना कंगन युक्त हाथ प्रकट कर राजा को दर्शन दिया. देवी के दर्शन के साथ ही राजा मनन सेन का भी प्राणांत हो गया. इस घटना की चर्चा पर स्थानीय लोगों ने वहां देवी की पूजा शुरू कर दी. तब से यह स्थान जाग्रत पीठ के रूप में मान्य है.
वन प्रदेश से घिरा है मंदिर
एतिहासिक थावे स्थित दुर्गा मंदिर तीन ओर से वन प्रदेशों से घिरा हुआ है. वन क्षेत्र से घिरे होने के कारण पूरा मंदिर परिसर रमणीय दिखता है. मंदिर में प्रवेश व निकास के लिए एक-एक द्वार है, जहां सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था रहती है.
सप्तमी की पूजा का विशेष महत्व
थावे दुर्गा मंदिर में सप्तमी के दिन होने वाली पूजा का विशेष महत्व है. इस पूजा में भाग लेने के लिए भक्त दूर-दूर से मंदिर में पहुंचते हैं. करीब एक घंटे तक चलने वाली इस पूजा के बाद महाप्रसाद का वितरण किया जाता है. इसके प्रति लोगों में बड़ी आस्था है. जो नहीं पहुंच पाते, उनकी भी इच्छा यहां का प्रसाद ग्रहण करने की होती है.
सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा है मंदिर
यह मंदिर गोपालगंज से सीवान जाने वाले एनएच पर है. थावे जंक्शन के समीप देवी हॉल्ट भी है. इस रूट से आने वाली सभी पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होता है. शारदीय और वासंतिक नवरात्र के दिनों में सभी ट्रेनों का ठहराव देवी हॉल्ट पर होता है.
भक्त की पुकार पर प्रकट हुई थीं देवी: पुजारी
मुख्य पुजारी सुरेश पांडेय का कहना है कि मंदिर का इतिहास तीन सौ साल पुराना है, लेकिन देवी की पूजा आदिकाल से पूरी भक्ति और निष्ठा के साथ की जाती है. उनके मुताबिक मां भगवती यहां भक्त की पुकार पर प्रकट हुई थीं. यहां पूजा अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
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