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BJP On Nehru Museum Row: नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (Nehru Memorial Museum & Library- NMML) का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस ने बुधवार (16 अगस्त) को केंद्र सरकार पर हमला किया. बीजेपी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार को बढ़ावा देने के इर्द-गिर्द केंद्रित है. 

कांग्रेस ने कहा नेहरू स्मृति संग्रहालय एवं पुस्तकालय का नाम बदलने के बाद भी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की विरासत हमेशा जिंदा रहेगी और वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे.  

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप गाया कि एनएमएमएल का नाम बदलना इस सरकार के ओछेपन और द्धेष को दिखाता है. एनएमएमएल का नाम 14 अगस्त से आधिकारिक तौर पर बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी कर दिया गया. इसी साल जून में नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूर किया गया था. अब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसको अमली जामा पहना दिया गया है. 

बीजेपी ने क्या कहा?
बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस नेहरू-गांधी परिवार को बढ़ावा देने के इर्द-गिर्द केंद्रित है जबकि मोदी ने सुनिश्चित किया है कि सभी प्रधानमंत्रियों को सम्मानजनक स्थान दिया जाए.  उन्होंने कहा कि इससे पहले किसी अन्य प्रधानमंत्री को संग्रहालय में जगह नहीं दी गई थी. 

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं की आलोचना कुछ और नहीं बल्कि दरबारियों का विलाप है. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी ने कांग्रेस सहित सभी प्रधानमंत्रियों को सम्मानित करने की कोशिश की है. नकवी ने कहा कि उन्होंने हमारे उन सभी महापुरुषों को सम्मान दिया है जिन्हें कांग्रेस ने भुला दिया था.  उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मानना है कि केवल एक परिवार ने राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया और सभी संस्थानों का नाम उसने अपने सदस्यों के नाम पर रखा. 

कांग्रेस ने पीएम मोदी का किया जिक्र
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर पोस्ट लिखा, ”आज से एक प्रतिष्ठित संस्थान को नया नाम मिल गया है. विश्व प्रसिद्ध नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) अब प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) बन गया है. ’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी भय, हीन भावना और असुरक्षा से भरे नज़र आते हैं, विशेष रूप से तब, जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री की आती है. उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को ग़लत ठहराना, बदनाम करना, तोड़ मरोड़कर पेश करना और नष्ट करना है. उन्होंने ‘एन’ को मिटाकर उसकी जगह ‘पी’ लगा दिया है. यह पी वास्तव में ‘पीटीनेस’ (ओछापन) और ‘पीवी’ (द्धेष) को दर्शाता है. ’’

कांग्रेस क्या कुछ बोली?
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू के व्यापक योगदान और भारतीय राष्ट्र-राज्य की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदार नींव डालने में उनकी महान उपलब्धियों को कभी भी कम नहीं किया जा सकता. चाहे इन उपलब्धियों पर प्रधानमंत्री मोदी और उनके लिए ढोल पीटने वाले जितना हमला करते रहें.  ’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘लगातार हो रहे हमलों के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के सामने जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी. ’’

इंदिरा गांधी का किया जिक्र
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि नेहरू की विरासत को धूमिल करने का प्रयास सूरज को दीया दिखाने की तरह है. उन्होंने  कहा, ‘‘यह सरकार मानसिक और सैद्धांतिक विरोधाभास से घिरी हुई है. इतिहास रचा जाता है, इतिहास बदला नहीं जाता. इमारतें बना देने और किसी जगह का नाम बदल देने से प्रधानमंत्री की संकीर्ण सोच दिखाई देती है. ’’

श्रीनेत ने जवाहर लाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम लिए बिना उनके कार्यकाल कामों का जिक्र करते हुए कहा कि जिनके अंदर जज्बा होता है वे पाकिस्तान के दो टुकड़े करके दुनिया का भूगोल बदल देते हैं. जिनके अंदर जज्बा होता है वो आजादी के समय आईआईटी, आईएआईएम और इसरो बनाते हैं.’’

पीएम मोदी ने क्या विचार रखा?
नई दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास हुआ करता था. बाद में इस परिसर को संग्रहालय में बदल दिया गया और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की स्थापना की गई.

पीएम मोदी ने 2016 में एक विचार रखा था कि तीन मूर्ति परिसर के अंदर भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय होना चाहिए, जिसे नेहरू मेमोरियल की कार्यकारी परिषद ने मंजूर कर लिया. 

साल 2022 में प्रधानमंत्रियों को समर्पित ये संग्रहालय बनकर तैयार हुआ, जिसके बाद अप्रैल 2022 में इसे जनता के लिए खोला गया. सभी प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय होने की वजह से कार्यकारी परिषद ने महसूस किया था कि इसके नाम में वर्तमान स्वरूप की झलक दिखनी चाहिए.

 इसी वजह से बीते जून की बैठक में नाम बदलने का फैसला हुआ. पीएम मोदी के मुख्य सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्र पीएम म्यूजियम की कार्यकारी परिषद अध्यक्ष हैं. 

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