Analysis Ipc New Criminal Laws What Has Changed In The Bills Being Brought To Replace IPC CrPC Abpp
संसद में हंगामे के बीच इस मानसून सत्र में राज्यसभा और लोकसभा में कुल 23 विधेयक पारित हुए. इन विधेयकों में ‘दिल्ली सर्विस बिल’ जैसे महत्वपूर्ण बिल भी शामिल है. लोकसभा के मानसून सत्र का शुक्रवार यानी 11 अगस्त को आखिरी दिन था. इस दिन भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 3 नए बिल पेश किए.
इन तीनों बिल के नाम हैं, भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल. सरकार का कहना है कि इन बिलों को मौजूदा समय के अहमियत के हिसाब से पेश किया गया है. इसमें आईपीसी और सीआरपीसी की कई धाराओं में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा गया है.
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल मौजूदा इंडियन पीनल कोड 1860 (IPC) की जगह लेगी.
- भारतीय साक्ष्य बिल मौजूदा एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे.
- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 मौजूदा कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1898 (CrPC) की जगह लेगी.
इन बिलों में बदलाव इसलिए किया गया क्योंकि सरकार गुलामी के दौरान बनाई गई ब्रिटिश के कानूनों में मौजूदा वक्त के हिसाब से परिवर्तन लाना चाहती है. इन तीनों ही बिलों को लोकसभा सत्र के आखिरी दिन संसद की स्थायी समिति को रिव्यू के लिए भेज दिया गया है और इसे कानून बनाने के लिए शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा.
भारतीय न्याय संहिता में क्या बदला?
देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों, हत्याओं को लेकर कानून बनाने को लेकर प्राथमिकता दी गई है. भारतीय नागरिक संहिता बिल CrPC की जगह लेगी. इस बिल में कुल 533 धाराएं रहेंगी. भारतीय नागरिक संहिता बिल में CrPC के 160 धाराओं में बदलाव किए गए हैं , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को खत्म कर दिया गया है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 में कितनी धाराएं बदली?
भारतीय न्याय संहिता IPC की जगह लेगी. आईपीसी में पहले 511 धाराएं थी उसे बदलकर अब सिर्फ 356 धाराएं कर दी गई है. आईपीसी की जगह लेने वाले इस प्रस्तावित बिल में 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है.
साक्ष्य बिल, 2023 में कितनी धाराएं बदली?
एविडेंट एक्ट की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य विधेयक में पहले की 167 धाराएं थी लेकिन अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त कर दिया गया है.
IPC-CrPC के नए वर्जन क्या क्या हुए बड़े बदलाव
राजद्रोह हटाया गया: बिल के प्रस्ताव को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि देशद्रोह के कानून को रद्द किया जाएगा. कारण ये है कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है और यहां हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है.
हालांकि राजद्रोह हटा दिया गया है लेकिन नए प्रावधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति इरादतन या जानबूझकर. अपने बोलने, लिखने, संकेत देने से अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को उकसाता की कोशिश करता है या देश की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने का प्रयास करता है या उस काम में शामिल होता हो तो ऐसी स्थिति में आरोपी को कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास सजा और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की सजा: अगर यह बिल कानून की शक्ल लेता है तो नाबालिग बच्चे के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा देने का प्रावधान है. किसी महिला से गैंगरेप करने पर 20 साल तक की जेल की सजा मिल सकती है.
प्यार के नाम पर धोखा संगीन जुर्म: नए प्रस्तावित बिल के अनुसार किसी भी महिला के साथ प्यार-मोहब्बत के नाम पर धोखेबाजी करना संगीन जुर्म माना जाएगा. अगर कोई भी व्यक्ति अपनी धार्मिक पहचान छुपा कर किसी महिला से शादी करने की कोशिश करता है या शादी करता है तो उसे 10 साल की सजा भुगतनी होगी. इसके अलावा कोई भी पुरुष किसी भी महिला के साथ शादी का वादा कर, प्रमोशन दिलवाने का वादा कर या नौकरी दिलाने का झूठा वादा कर संभोग करता है तो ऐसी स्थिति में उसे कम से कम 10 साल की सजा होने का प्रावधान है.
मॉब लिंचिंग पर सजा: इस प्रस्तावित विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या से जोड़ा गया है. विधेयक के अनुसार जब 5 या 5 से ज्यादा लोगों समूह साथ मिलकर किसी का नस्ल, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधार पर हत्या करता है, तो ऐसी स्थिति में इस अपराध में शामिल हर व्यक्ति को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा. इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.
आतंकवाद को किया गया परिभाषित: भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली बार आतंकवाद शब्द की परिभाषा बताई गई है जो की वर्तमान में आईपीसी में शामिल नहीं था.
स्नैचिंग पर सजा: भारतीय न्याय संहिता में धारा 302 के अनुसार “स्नैचिंग” पर को लेकर एक नया प्रावधान किया गया है. इसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति स्नैचिंग करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा और जुर्माना देना होगा.
रेप पीड़िता की पहचान बताना अपराध: नए कानून में किसी भी रेप पीड़िता की पहचान को सबके सामने लाने वालों पर भी सजा का प्रावधान है. दरअसल धारा 72. (1) के तहत कोई भी व्यक्ति रेप पीड़िता का नाम या कोई भी ऐसी चीज सबके सामने लाता है जिससे पीड़िता को पहचाना जाए. ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के खिलाफ धारा 63 से 68 तक सजा दी जा सकती है. आरोपी को किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा. जिसे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
कोर्ट होंगे डिजिटलाइज: नए प्रावधानों के अनुसार आने वाले समय में एफआईआर लिखने से जजमेंट तक सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. गृहमंत्री ने इसे पेश करते वक्त कहा कि साल 2027 तक देश के सभी कोर्ट को डिजिटाइज कर दिया जाएगा. ताकि कहीं से भी जीरो एफआईआर रजिस्टर किया जा सके. इसके अलावा किसी की भी गिरफ्तारी के साथ ही उसके परिवार को भी सूचित कर दिया जाएगा. 180 दिन के जांच समाप्त कर ट्रायल के लिए भेजना होगा.