Tamilnadu Governor RN Ravi Says Will Never Clear Anti-NEET Bill Entrance Exam To Stay
Tamil Nadu Governor RN Ravi: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने शनिवार (12 अगस्त) को कहा कि वह तमिलनाडु सरकार के नीट विरोधी विधेयक को कभी भी मंजूरी नहीं देंगे. इस विधेयक को अभी राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है. राज्यपाल के इस बयान पर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (DMK) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्ति की है.
उन्होंने कहा, “देखिए, मैं इस विधेयक को कभी भी मंजूरी नहीं दूंगा. मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे बौद्धिक रूप से अक्षम महसूस करें. मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे कॉम्पिटिशन करें और बेस्ट बनें.” राज्यपाल ने राजभवन में नेशनल एंट्रेंस-कम-एलिजबिलिटी टेस्ट (NEET) ग्रेजुएशन 2023 में शीर्ष अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों के साथ बातचीत के दौरान यह बयान दिया.
‘नहीं दूंगा मंजूरी’
राज्यपाल रवि ने कहा, “मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप से बता रहा हूं, मैं नीट (विधेयक) को कभी भी मंजूरी नहीं दूंगा. वैसे भी यह राष्ट्रपति के पास गया है, क्योंकि यह समवर्ती सूची का विषय है और यह ऐसा विषय है जिसे मंजूरी देने के लिए केवल राष्ट्रपति ही सक्षम हैं.” उन्होंने कहा कि एक मिथक फैलाया जा रहा है कि केवल कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास कर सकते हैं.
राज्यपाल की आलोचना
बता दें कि राज्य विधानसभा ने पिछले साल तमिलनाडु को नीट से छूट देने का प्रावधान देने वाला विधेयक पारित किया था. इससे पहले विधेयक को राज्यपाल रवि ने लौटा दिया था. इस पर डीएमके की छात्र शाखा के नेता और पार्टी के प्रवक्ता ने रवि के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उनके रवैये की आलोचना की थी.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लिखा, ”अगले 10 महीनों में खबरें आएंगी कि पूर्व राज्यपाल आरएन रवि ने (किसी मुद्दे पर) राय दी थी.” उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राज्यपाल बदल दिया जाएगा. तब तक अपना अहंकार जारी रखें.
DMK ने भी की राज्यपाल की आलोचना
द्रमुक की सहयोगी पार्टी भाकपा ने भी नीट मुद्दे पर रवि पर निशाना साधा. पार्टी ने कहा कि रवि का ‘अहंकारी’ बयान लोकतांत्रिक मानदंडों के अनुरूप नहीं है, यह ‘अभिभावकों को डराने’ वाला है. पार्टी ने एक बयान में कहा कि राज्यपाल की ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए लोकतांत्रिक ताकतों को हाथ मिलाने और संघर्ष को आगे बढ़ाने की सख्त जरूरत है. भाकपा ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा, कैबिनेट और मुख्यमंत्री की सलाह पर चलने के बजाय ‘तानाशाही’ कर रहे हैं.
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