कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद इस साल 30 जून से शुरू होगी

नई दिल्ली:
कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद इस वर्ष 30 जून से शुरू होगी जिसका मार्ग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 17 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे से होगा. यहां सोमवार को जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी. सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार हर वर्ष आयोजित होने वाली यह यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी और उसके बाद से यह संचालित नहीं हो पाई लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विशेष प्रयासों से इस वर्ष यह संभव हो पाया है. इसके अनुसार उत्तराखंड सरकार एवं भारतीय विदेश मंत्रालय के तत्वाधान में आयोजित होने वाली इस यात्रा के संबंध में सोमवार को नयी दिल्ली में एक बैठक की गयी जिसमें इसके संचालन का जिम्मा कुमाऊं मंडल विकास निगम को सौंपा गया.
यह यात्रा दिल्ली से 30 जून को शुरू होगी जिसमें 50-50 व्यक्तियों के कुल पांच दल होंगे और इस प्रकार इस यात्रा में ढाई सौ श्रद्धालु शामिल होंगे. कैलाश मानसरोवर यात्रा करने वाला प्रथम दल 10 जुलाई को लिपुलेख दर्रे से होते हुए चीन में प्रवेश करेगा तथा अंतिम यात्रा दल 22 अगस्त को चीन से भारत के लिए प्रस्थान करेगा.
विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रत्येक दल दिल्ली से प्रस्थान कर उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर में एक रात, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में एक रात, गुंजी में दो रात तथा नाभीढांग में दो रात रुकने के बाद चीन के तकलाकोट में प्रवेश करेगा.
इसमें कहा गया कि कैलाश दर्शन के उपरान्त वापसी में चीन से प्रस्थान कर पिथौरागढ़ जिले के बूंदी में एक रात, चौकोड़ी में एक रात, अल्मोड़ा में एक रात रुकने के बाद दिल्ली पहुंचेगा. इस प्रकार, प्रत्येक दल द्वारा कुल 22 दिनों की यात्रा की जाएगी.
विज्ञप्ति के अनुसार, कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले सभी यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण पहले दिल्ली में और उसके बाद गुंजी में किया जायेगा।.
चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का काफी धार्मिक महत्व है। हिंदुओं की मान्यता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का वास स्थल है और उसकी परिक्रमा करने तथा मानसरोवर झील में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)