Murshidabad Violence Supreme Court to hear plea seeks President rule in Bengal what is article 355 Vishnu Shankar Jain appeled to impose
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) को बंगाल हिंसा को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा. बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर याचिका दाखिल की गई थी. सोमवार को इसमें नया आवेदन दाखिल कर केंद्र सरकार को राज्यपाल से रिपोर्ट मांगने के लिए कहने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की अपील की गई.
पश्चिम बंगाल की खराब कानून-व्यवस्था, राजनीतिक हिंसा और हत्याओं को लेकर 2021 से रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह बिसेन की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट से कहा कि आवेदन में केंद्र को राज्यपाल से संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत रिपोर्ट मांगने का निर्देश देने की मांग की गई है. जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने ये मांग रखी गई. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान वह अपनी बात रखें. न्यायपालिका पर सरकार के कामकाज में दखल का आरोप लगाते हुए चल रही बयानबाजी की तरफ इशारा करते हुए जस्टिस गवई ने कहा, ‘हम पर पहले ही कार्यपालिका के क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप लग रह रहा है. आप चाहते हैं हम कि राष्ट्रपति को निर्देश दें?’
नए आवेदन में मांग की गई है कि पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी को दी जाए. राज्य में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. अनुच्छेद 355 के तहत राज्यपाल से राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर रिपोर्ट मांगी जाए. अगर इस तरह की रिपोर्ट में राज्यपाल किसी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था के चरमरा जाने की रिपोर्ट देते हैं, तो राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
विष्णु शंकर जैन ने कहा, ‘कल की सूची में मद संख्या 42 पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने से संबंधित है. यह याचिका मैंने दायर की है. उस याचिका में मैंने पश्चिम बंगाल राज्य में हुई हिंसा की कुछ और घटनाओं को सामने लाने संबंधी अभियोग और निर्देश के लिए एक इंटरलोक्यूटरी आवेदन दायर किया है.’ इंटरलोक्यूटरी आवेदन एक औपचारिक कानूनी अनुरोध होता है जो अंतरिम आदेश या निर्देश प्राप्त करने के लिए कोर्ट की कार्यवाही के दौरान दायर किया जाता है.
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 की याचिका पर पहले नोटिस जारी किया था. उन्होंने कहा, ‘जब मामले पर सुनवाई होगी तो मैं बताऊंगा कि हिंसा कैसे हुई.’ एक नई याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि 2022 से अप्रैल 2025 तक हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघनों और महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं, खासतौर पर मुर्शिदाबाद में हालिया हिंसा की घटनाओं के मामले में जांच के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति की नियुक्ति की जाए. आवेदन में केंद्र को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि पश्चिम बंगाल को अनुच्छेद 355 के तहत आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार किया जाए.
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