Murishdabad Violence on Waqf Amendment Act Supreme Court reaction attack on judiciary President Rule plea | बंगाल में लगे राष्ट्रपति शासन… याचिका पर बोला सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई ने सोमवार (21 अप्रैल, 2025) को कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण करने के आरोप लग रहे हैं और उनसे राष्ट्रपति के दखल का आदेश देने के लिए कहा जा रहा है. वक्फ संशोधन कानून के विरोध में बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर दाखिल याचिकाओं पर उन्होंने यह टिप्पणी की है. कोर्ट से इलाके में तत्काल पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की मांग की गई है.
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा, ‘कल मामला सुनवाई के लिए लगा है. मैं कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करना चाहता हूं.’ उन्होंने यह भी कहा कि इलाके में शांति सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट केंद्र को फोर्स तैनात करने का आदेश दे. जस्टिस बी आर गवई ने उनसे कहा कि आप चाहते हैं कि वह इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को परमादेश दें. उन्होंने कहा, ‘आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को दखल का आदेश दें? हम पर पहले ही कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप लग रहा है.’
बंगाल में हिंसा से जुड़ी याचिका काफी समय से लंबित है औऱ यह याचिका पहले से ही लिस्टेड है. विष्णु शंकर जैन ने उसी याचिका में नया आवेदन दाखिल किया है और उसमें हालिया घटनाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की गई है. उन्होंने नए आवेदन की जानकारी कोर्ट को दी. अब कल वाली सुनवाई में वह नए आवेदन को भी कोर्ट में रखेंगे.
जस्टिस गवई ने क्यों कही यह बात?
जस्टिस गवई ने उन आरोपों का जिक्र किया है, जो तमिलनाडु बनाम राज्यपाल मामले के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर लग रहे हैं. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों को लंब समय तक लटका कर नहीं रख सकते हैं. मंजूरी देने, रोकने या राष्ट्रपति के पास बिल भेजने का फैसला डेडलाइन के अंदर लेना होगा. अगर बिल वापस भेजा जाता है और वह विधानसभा से पुराने स्वरूप में वापस आता है तो राज्यपाल के पास उसको मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोर्ट के इस फैसल की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा लोकतंत्र कभी नहीं रहा, जहां जज लॉ मेकर, कार्यपालिका या सुपर संसद के रूप में काम करें. उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते, जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें.
भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने भी कहा कि अगर सारे फैसले सुप्रीम कोर्ट लेगा तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए. उन्होंने वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी का मुद्दा उठा तो कोर्ट ने कहा कि पेपर दिखाओ और जब मुगलकालीन मस्जिदों की बात आई तब दस्तावेज नहीं मांगे, तब तो आपने कह दिया कि इतने साल पुराने पेपर कहां से आएंगे.
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