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Salman Khurshid slams BJP MP Nishikant Dubey over statement on Supreme Court CJI Sanjiv Khanna | CJI पर निशिकांत दुबे के बयान से भड़के सलमान खुर्शीद, बोले


Nishikant Dubey Remarks On SC: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच राजनीतिक माहौल गरमा गया है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर की गई तीखी टिप्पणियों ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील सलमान खुर्शीद ने दुबे की टिप्पणियों को लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना के विरुद्ध बताया. 

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद क्या बोले?
सलमान खुर्शीद ने कहा, ” जो लोग संवैधानिक पद पर बैठे हैं, उन्हें क्या बोलना चाहिए, कब बोलना चाहिए, उस पर मैं कोई टिप्पणी करूं, यह मेरे लिए उचित नहीं होगा, लेकिन आम लोग हों या सांसद हों या कोई और अगर वे सुप्रीम कोर्ट या किसी अदालत पर सवाल उठाते हैं तो यह बहुत दुखद है” उन्होंने आगे कहा, “हमें अपनी न्यायपालिका पर भरोसा और गर्व है. हम जब अदालत जाते हैं तो उम्मीद लेकर जाते हैं कि कोर्ट का फैसला पक्ष में आएगा, लेकिन हमेशा पक्ष में नहीं आता, इसके कई कारण हो सकते हैं. कभी हमारी उम्मीदें ही गलत होती हैं. ऐसा सिर्फ याचिकाकर्ता के साथ ही नहीं, बल्कि सरकार के साथ भी हो सकता है”.

‘अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट का होता है’
सलमान खुर्शीद ने साफ कहा कि अगर कोई सांसद सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अदालत पर सवाल उठाता है तो यह बहुत दुख की बात है. हमारी न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, सुप्रीम कोर्ट का होता है. अगर कोई यह बात नहीं समझता है तो यह बहुत दुख की बात है.”

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने क्या कहा?
दरअसल, निशिकांत दुबे ने शनिवार (19 अप्रैल,205) को कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस देश में गृहयुद्धों का कारण बन रहा है और यह भी कहा कि अगर अदालत ही कानून बनाएगी, तो संसद को बंद कर देना चाहिए. उन्होंने मीडिया से कहा, “मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा, यही सुप्रीम कोर्ट का एजेंडा बन चुका है.” बीजेपी सांसद ने कहा, “भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना इस देश में हो रहे सभी गृहयुद्धों के लिए जिम्मेदार हैं.”

निशिकांत दुबे ने अनुच्छेद 141 और अनुच्छेद 368 का हवाला देते हुए तर्क दिया किनअनुच्छेद 368 संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है. आर्टिकल 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सभी अदालतों पर बाध्यकारी होते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सुप्रीम कोर्ट कानून बना सकती है. उन्होंने सवाल किया, “जब राम मंदिर, ज्ञानवापी या कृष्ण जन्मभूमि की बात आती है तो सुप्रीम कोर्ट कागज मांगता है, लेकिन वक्फ संपत्तियों के लिए ऐसा नहीं करता?”

नियुक्तियों पर भी उठाया सवाल
दुबे ने यह भी पूछा कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को कैसे निर्देश दे सकती है कि विधेयकों पर कितने समय में निर्णय लिया जाए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा चलता रहा तो यह देश अराजकता की ओर बढ़ेगा. जब संसद बैठेगी, तो इस पर विस्तार से चर्चा की जाएगी.

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