Supreme Court Jammu Kashmir Article 370 Abrogation Hearing Muzaffar Iqbal Khan Mention Constitution Front Of CJI DY Chandrachud
Article 370 Abrogation: सुप्रीम कोर्ट को बुधवार (9 अगस्त) को बताया गया कि तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने वाला अनुच्छेद 370 अनियंत्रित शक्ति का भंडार नहीं, राज्य में संविधान लागू करने का एक माध्यम था.
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को याचिकाकर्ता मुजफ्फर इकबाल खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने बताया कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा अनुच्छेद 370 को निरस्त नहीं करना चाहती थी और इसके बजाय उसने इसे जारी रखने की अनुमति दी थी.
खान ने पांच और छह अगस्त, 2019 को जारी केंद्र के दो संवैधानिक आदेशों को चुनौती दी है, जिनके जरिए अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था.
मुजफ्फर इकबाल खान के वकील ने क्या कहा?
सुब्रमण्यम ने कहा, “अनुच्छेद 370 से जुड़े दस्तावेजों में भले ही ‘अस्थायी’ शब्द दिखाई देता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के पारित प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत का संविधान इन संशोधनों के साथ लागू होना चाहिए. अनुच्छेद 370 के माध्यम से जम्मू-कश्मीर का संविधान और भारतीय संविधान एक दूसरे से जुड़े थे.”
उन्होंने जस्टिस संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की सदस्यता वाली पीठ से कहा कि अनुच्छेद 370 अनियंत्रित शक्ति का भंडार नहीं बल्कि एक माध्यम था, जिसके जरिए संविधान राज्य में लागू किया गया था.
क्या दलीलें दी?
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के चौथे दिन अपनी दलीलें शुरू करने वाले सुब्रमण्यम ने कहा, “सम्मानपूर्वक यह प्रस्तुत किया जाता है कि अनुच्छेद 370 को सत्ता की राजनीति या सौदेबाजी की चीज के रूप में नहीं पढ़ा या समझा जाना चाहिए. बल्कि, इसकी व्याख्या भारतीय लोगों और जम्मू-कश्मीर राज्य के लोगों के बीच एक सैद्धांतिक समझौते के रूप में की जानी चाहिए.”
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