Regal Talkies Fire Only Memories Remain With Regal Talkies Silver Jubilee Theatre Indore In Mp Ann
Regal Cinema Indore: इंदौर के जिस रीगल सिनेमा में एक दिन पहले आग लगी और वह जलकर खाक हो गया उससे जुड़े किस्से आजकल इंदौर में हर किसी की जुबां पर हैं. बुजुर्ग और अधेड़ अभी भी उस पल को याद करते हैं जब वे पहली बार अपनी पत्नी, बच्चों को लेकर रीगल में फिल्में देखने जाया करते थे.
रीगल टॉकीज की स्थापना 7 अप्रैल 1934 में
इंदौर के इतिहास की रगों में बहती यादों को संजोने वाले इतिहासकार ने इसे अपने फेसबुक पेज पर बखूबी कलमबद्ध किया है. जफर अंसारी लिखते हैं कि रीगल सिनेमा के निर्माण के लिए होलकर रियासत ने जमीन आवंटित की थी. रीगल टॉकीज की स्थापना 7 अप्रैल 1934 में की गई थी. इसकी स्थापना के समय में यह ड्रामा हॉल था. जिसे 1936 में टॉकीज में कन्वर्ट किया गया था.
इसके प्रारंभिक समय में रीगल सिनेमा के मैनेजर अंग्रेज मिस्टर स्मिथ थे.सिनेमा हॉल में कुछ तब्दीली कर विशेष बॉक्स राज परिवारों के लिए बनवाए गए थे. 1945 में यहां बोलती फिल्मों का प्रदर्शन शुरू हुआ. 1971 में इसे air-cooled किया गया. 1972 में मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम ऑडियंस पार्टीसिपेट साउंड सिस्टम लगाया गया. रीगल टॉकीज के संस्थापक संचालक सेठ मन्नालाल ठाकुरिया थे. जिन्होंने अपना सारा कार्य का भार अपने पुत्र हस्तीमल ठाकुरिया को सौंप दिया था.
सिल्वर जुबली थिएटर के नाम से मशहूर रहा
रीगल सिनेमा को सिल्वर जुबली थिएटर भी कहा जाता था, क्योंकि यहां पर 27 सप्ताह तक अनारकली फिल्म प्रदर्शित की गई थी. वही इस सिनेमाघर में राजश्री प्रोडक्शन की गीत गाता चल जो 45 सप्ताह तक चली थी. एक समय इसकी बालकनी में बिना सूट के प्रवेश नहीं था. वे लिखते हैं कि 2009 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा विंटेज इंदौर पुस्तक के प्रकाशन के समय कुछ ब्लैक एंड वाइट नेगेटिव से अखिल हार्डिया जी के डार्क रूम में मैंने स्वयं फोटो बनवाए थे.
उसमें से कुछ रीगल सिनेमा के चित्र भी थे. जो विंटेज इंदौर पुस्तक में प्रकाशित हुए हैं. 1952 का यह दुर्लभ चित्र जिसमें उषा किरण फिल्म लगी है बाद में व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी ने इस रीगल थिएटर का नाम ही बदल डाला और कहा गया कि इसे कभी उषा किरण टॉकीज भी कहा जाता था.