Delhi CM Arvind Kejriwal On Delhi Services Bill Passage In Parliament – BJP ने पीछे के दरवाजे से बनाया रास्ता : राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पास होने पर बोले CM केजरीवाल
केंद्र सरकार की तरफ से पेश किया गया दिल्ली सर्विस बिल सोमवार को लंबी बहस के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया. राज्यसभा से दिल्ली सर्विस बिल पास होने के तुंरत बाद दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. केजरीवाल ने इस बिल के पास होने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि बीजेपी दिल्ली में आम आदमी पार्टी से 4 बार चुनाव हारी है. इसलिए वह पीछे के दरवाजे से ये बिल लेकर आई. उन्होंने पीएम के दिल्ली की सरकार में दखल देने पर भी आपत्ति जाहिर की.
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राज्यसभा में ऑटोमैटिक वोटिंग मशीन खराब होने के कारण पर्ची से वोटिंग कराई गई. इस बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े. बिल अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा.
केजरीवाल ने कहा कि इन लोगों ने देखा कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में हराना बहुत मुश्किल है. सीधे-सीधे चार चुनाव बीजेपी आम आदमी पार्टी से हारी है. जब इन्हें लगा कि आम आदमी पार्टी को हराना मुश्किल है तो चोर दरवाजे से इन्होंने ऐसा किया.राज्यसभा में पास हुए दिल्ली सर्विस बिल पर अरविंद केजरीवाल ने कहा, ”पीएम मोदी सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानते. जनता ने साफ कहा था कि केंद्र उन्हें हरा कर दिल्ली में दखल न दे, लेकिन पीएम सुनना ही नहीं चाहते”
बीजेपी को कोई सीट नहीं देगी दिल्ली की जनता
केजरीवाल ने कहा, “मैं जो भी करता हूं, दिल्ली की जनता उसका समर्थन करती है. उन्होंने मुझे चुनाव में जीत दिलाकर अपना समर्थन दिखाया है. बीजेपी सिर्फ हमारे अच्छे काम को रोकने की कोशिश कर रही है. वे विकास कार्यों में बाधा डाल रहे हैं. वे मुझे काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इस बार जनता उन्हें कोई सीट नहीं जीतने देगी.”
अमित शाह पर भी साधा निशाना
सीएम केजरीवाल ने कहा कि संसद में अमित शाह ने कहा कि हमारे पास कानून पारित करने की शक्ति है. आपको लोगों के लिए काम करने की शक्ति दी गई है, उनके अधिकार छीनने की नहीं.
बिल पर क्या बोले अमित शाह
बिल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि दिल्ली भ्रष्टाचार मुक्त करना चाहते हैं. बिल का एक भी प्रावधान गलत नहीं है. दिल्ली सीमित अधिकारों वाला प्रदेश है. दिल्ली कई मायनों में दूसरे प्रदेशों से अलग हैं. सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले का उल्लंघन नहीं है. दिल्ली की व्यवस्था ठीक करने के लिए ये बिल लाया गया है.
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