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भारत के ऑटो कंपोनेंट निर्यात में बीते 2-3 वर्षों में हुई मजबूत वृद्धि, टॉप ग्लोबल डेस्टिनेशन बनने की राह पर




नई दिल्ली:

ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत के बढ़ते महत्व के कारण ऑटो कंपोनेंट के निर्यात में पिछले कुछ वर्षों में मजबूत वृद्धि देखने को मिली है.देश में बने मोटरसाइकिल पार्ट्स के निर्यात के लिए प्रमुख डेस्टिनेशन जर्मनी, बांग्लादेश, यूएस, यूके, यूएई, ब्राजील, तुर्कीये और श्रीलंका और अन्य देश शामिल हैं.

वित्त वर्ष 2023-24 में देश से ऑटो कंपोनेंट का निर्यात 21.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2018-19 के 2.5 अरब डॉलर के घाटे से बढ़कर 300 मिलियन डॉलर के सरप्लस तक एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है.

इंडस्ट्री 100 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य कर सकती है हासिल

इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि भारत की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री 100 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य प्राप्त कर सकती है, क्योंकि वैश्विक मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं और विनिर्माण रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं, जिससे भारत के पास खुद को एक टॉप ग्लोबल डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने का एक अच्छा अवसर है.

40-60 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात की उम्मीद

ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिका और यूरोप के बाजारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 11 प्रोडक्ट फैमिली को प्राथमिकता देकर संभावित रूप से 40-60 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात कर सकता है.

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि स्थानीयकरण के माध्यम से उभरते ईवी और इलेक्ट्रॉनिक वैल्यू चेन का लाभ उठाते हुए भारत बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम, टेलीमैटिक्स इकाइयों, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और एबीएस जैसे कंपोनेंट को बनाकर अतिरिक्त 15-20 अरब डॉलर का निर्यात कर सकता है.

वैश्विक ओईएम भारत के ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री के प्रमुख ग्राहक हैं, जिनका निर्यात में 20-30 प्रतिशत हिस्सा है.पूर्वी यूरोपीय आपूर्तिकर्ताओं के प्रभाव वाले जर्मन मार्केट में भारत एक लागत प्रभावी विकल्प के रूप में उभर रहा है, जो 15 प्रतिशत तक कम कीमतों पर ऑटो कंपोनेंट की पेशकश कर रहा है.

चीनी कंपोनेंट भारत की तुलना में 20-25% अधिक महंगे

वर्तमान में अमेरिकी बाजार में मेक्सिको और चीन से आयात होने वाले ऑटो कंपोनेंट का बोलबाला है. मेक्सिको कम लॉजिस्टिक्स और टैरिफ लागत के कारण 2-5 प्रतिशत कम कीमत पर ऑटो कंपोनेंट प्रदान करता है. इसके विपरीत चीनी कंपोनेंट भारत की तुलना में 20-25 प्रतिशत अधिक महंगे हैं, जिसका मुख्य कारण अतिरिक्त टैरिफ है.
 





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