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Investigation Against Manish Sisodia and Satyendra Jain: दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय को पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच की अनुमति गृह मंत्रालय से मिल गई है. यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 17-A के तहत की जाएगी.

शिक्षा और PWD विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप
दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग को मिली शिकायतों के आधार पर मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच की सिफारिश की गई थी. गृह मंत्रालय ने इस मामले में जांच को हरी झंडी दे दी है. अब दिल्ली सरकार से प्राप्त संबंधित फाइलों की समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

मनीष सिसोदिया पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों के निर्माण में अनियमितताओं और शिक्षा विभाग में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं. इससे पहले, वह दिल्ली शराब नीति घोटाले में भी आरोपी हैं और इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की जांच का सामना कर रहे हैं.

वहीं, सत्येंद्र जैन पर लोक निर्माण विभाग (PWD) में भ्रष्टाचार के आरोप हैं. उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भी गिरफ्तार किया गया था और लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था. हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी.

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-A क्या कहती है?
2018 में संशोधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17-A के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य होता है. अब जबकि गृह मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है, दिल्ली सरकार का सतर्कता निदेशालय दोनों पूर्व मंत्रियों के खिलाफ जांच शुरू करेगा.

पहले भी रहे हैं विवादों में
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन दोनों अरविंद केजरीवाल सरकार के महत्वपूर्ण मंत्री रहे हैं. सिसोदिया को शिक्षा मॉडल का मुख्य चेहरा माना जाता था, जबकि जैन स्वास्थ्य और PWD विभाग देखते थे. हालांकि, दोनों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था.

दिल्ली शराब नीति घोटाले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से ही आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) आमने-सामने रही है. AAP का आरोप है कि केंद्र सरकार राजनीतिक द्वेष के कारण उनके नेताओं को निशाना बना रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि भ्रष्टाचारियों को सजा मिलनी चाहिए.

आगे क्या?
अब जब गृह मंत्रालय ने जांच की अनुमति दे दी है, तो सतर्कता निदेशालय शिक्षा और PWD विभाग से संबंधित दस्तावेजों की जांच करेगा. इसके बाद अगर अनियमितताओं के पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो दोनों पूर्व मंत्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस जांच का असर दिल्ली की राजनीति पर भी पड़ेगा. आम आदमी पार्टी पहले से ही विभिन्न मामलों में केंद्रीय एजेंसियों के शिकंजे में है और अब इस नई जांच से पार्टी को और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

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