manipur free movement clash between kuki community security forces Curfew imposed in some areas
Manipur Free Traffic Movement: मणिपुर के कांगपोकपी जिले के विभिन्न हिस्सों में कुकी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच शनिवार (8 मार्च 2025) को हुई झड़पों में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गयी, जबकि महिलाओं समेत 25 अन्य लोग घायल हो गए. मृतक की पहचान लालगौथांग सिंगसिट के रूप में हुई है. पुलिस ने बताया कि 30 वर्षीय सिंगसिट को कीथेलमानबी में झड़पों के दौरान गोली लगी और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.
कुकी समुदाय और पुलिस में हिंसक झड़प
पुलिस ने बताया कि गमगीफई, मोटबंग और कीथेलमानबी में सुरक्षा बलों के साथ झड़पों के दौरान कम से कम 25 प्रदर्शनकारियों को विभिन्न प्रकार की चोटें आईं, जिन्हें उपचार के लिए पास के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. पुलिस की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्य भर में मुक्त आवाजाही की अनुमति देने के निर्देश का विरोध करने पर कुकी बहुल जिले में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं, जब पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी.
कुछ इलाकों में लगा कर्फ्यू
मणिपुर में स्थिति तब और खराब हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने निजी वाहनों में आग लगा दी और इंफाल से सेनापति जिले जा रही राज्य परिवहन की बस को रोकने का प्रयास किया. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग (NH)- दो (इंफाल-दीमापुर राजमार्ग) को भी अवरुद्ध कर दिया और सरकारी वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए टायर जलाए. एनएच-2 के आसपास के इलाको में कर्फ्यू लगाया गया है. यह विरोध प्रदर्शन फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस) की ओर से आयोजित शांति मार्च के खिलाफ भी था. एफओसीएस एक मेइती संगठन है. इस शांति मार्च को कांगपोकपी जिले में पहुंचने से पहले ही सुरक्षा बलों ने सेकमई में रोक दिया. इस मार्च में 10 से अधिक वाहन शामिल थे.
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “गृह मंत्री अमित शाह के आदेश के बाद आज मणिपुर में रास्ते खोले गए. रास्ते खुलते ही मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई. हिंसा में 1 युवक के मारे जाने की खबर है. वहीं, बड़ी संख्या में लोग घायल हैं. मोदी सरकार ने करीब 2 साल तक मणिपुर को अपने हाल पर छोड़ दिया था. आखिरकार विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के दबाव में आकर राज्य की बीजेपी सरकार को बर्खास्त किया गया और अब अमित शाह को मजबूरन मणिपुर की ओर देखना पड़ रहा है, लेकिन सरकार ने इतनी देर कर दी है कि अब हालात उसके काबू में नहीं हैं.”
हम केवल आदेशों का पालन कर रहे- पुलिस
कांग्रेस ने कहा, “हमारी अपील है कि मणिपुर के लोग शांति बनाए रखें. राज्य को अब इस हिंसा के बुरे दौर से आगे बढ़ना होगा.” पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों को मार्च रोकने के लिए कहा गया था, क्योंकि उनके पास अनुमति नहीं थी. एक पुलिसकर्मी ने बताया कि ‘‘हम केवल आदेशों का पालन कर रहे हैं. हमें मार्च रोकने के लिए कहा गया है. अगर वे जाना चाहते हैं, तो वे बसों में जा सकते हैं, जिसकी व्यवस्था सरकार करेगी.’’ हालांकि, एफओसीएस के सदस्यों ने यह कहते हुए विरोध किया कि वे केवल गृह मंत्री के निर्देश का पालन कर रहे थे, जिसमें शनिवार से पूरे राज्य में मुक्त आवाजाही की अनुमति दी गई है.
इस बीच कुकी-जो गांव के स्वयंसेवकों के समूह की ओर से एक अज्ञात स्थान से जारी एक कथित वीडियो में कहा गया है कि यह स्वतंत्र आवाजाही के बारे में भारत सरकार के फैसले के खिलाफ है और एक अलग प्रशासन की मांग करता है. पीटीआई-भाषा इस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है. वीडियो में एक स्वयंसेवक को यह कहते हुए सुना जा रहा है कि उनके क्षेत्रों में प्रवेश करने के किसी भी प्रयास का कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा.
कुकी ने की अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा
इस बीच एक बयान में कहा गया है कि मुक्त आवागमन की पहल का विरोध करते हुए कुकी जो परिषद ने शनिवार आधी रात से कुकी-जो के सभी इलाकों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है. इसमें कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा करने और अशांति को रोकने के लिए अंतर्निहित मुद्दों का समाधा करे. कुकी-जो परिषद ने सरकार से तनाव और हिंसक टकराव को और बढ़ने से रोकने के लिए अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.’’ परिषद ने यह भी कहा, ‘‘हम बफर जोन में मेइती लोगों की मुक्त आवाजाही की गारंटी नहीं दे सकते और किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी नहीं ले सकते.’’
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