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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: रेलवे में नए आयाम गढ़ रहीं महिलाएं, 8% से ज्यादा हुआ कार्यबल; बढ़ रही भागीदारी



नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान, उनके अधिकारों और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने के लिए मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का एक प्रतीक है. भारतीय रेलवे भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में लगातार काम कर रहा है.

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रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सूचना एवं प्रचार) दिलीप कुमार ने बताया कि वर्तमान में रेलवे में 8.2 प्रतिशत महिला कार्यबल है. रेलवे के सभी विभागों में महिला कर्मचारी कार्यरत हैं. 2014 में यह आंकड़ा 6.6 प्रतिशत था, जो 2024 में बढ़कर 8.2 प्रतिशत हो गया है. रेलवे में लगभग 1.13 लाख महिला कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें 2162 महिला लोको पायलट, 1699 स्टेशन मास्टर और 7756 महिला ट्रेनमैन शामिल हैं.

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दिलीप कुमार ने बताया कि रेलवे ने कुछ स्टेशनों को पूरे साल के लिए “पिंक स्टेशन” घोषित किया है, जिनमें अजनी, माटुंगा, गांधीनगर और न्यू अमरावती शामिल हैं. इसके अलावा, आज के दिन कुछ स्टेशनों को भी पिंक घोषित किया गया है, जहां सभी कार्य महिला कर्मचारी द्वारा संचालित किए जा रहे हैं. विशेष रूप से, आज CSMT स्टेशन से शिर्डी तक वंदे भारत ट्रेन पूरी तरह से महिला स्टाफ द्वारा संचालित की जा रही है.

वहीं, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भोपाल रेलवे मंडल ने महिलाओं के सम्मान और उनके समर्पण को उजागर करने के लिए एक प्रेरणादायक कदम उठाया. इस विशेष दिन पर ट्रेन संख्या 18235 भोपाल-बिलासपुर एक्सप्रेस को पूरी तरह महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित कर रवाना किया गया, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में रेलवे के सकारात्मक प्रयासों का प्रतीक है.

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यह ट्रेन आज सुबह 10:15 बजे भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक 5 से हरी झंडी दिखाकर रवाना की गई. इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक रश्मि दिवाकर ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और महिला क्रू सदस्यों का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. उन्होंने सभी महिला कर्मचारियों को पुष्पमाला पहनाकर और बुके भेंट कर सम्मानित किया और उनके उत्कृष्ट कार्य के प्रति अपनी शुभकामनाएं दीं.

इस विशेष ट्रेन का संचालन कुशल महिला क्रू ने किया, जिसमें लोको पायलट के रूप में कु. नूतन, सहायक लोको पायलट के रूप में नेहा श्रीवास्तव, ट्रेन मैनेजर के रूप में अक्षिता काले और ट्रेन टिकट परीक्षक के रूप में रीता यादव एवं रश्मि मगरदे ने अपनी जिम्मेदारी संभाली. महिला कर्मचारियों द्वारा ट्रेन संचालन का यह प्रयास न केवल रेलवे में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण भी है.





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