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Govind Ghat bridge collapsed for the third time in 17 years in Uttarakhand ANN


Uttarakhand Govind Ghat Bridge News: उत्तराखंड के गोविंदघाट में अलकनंदा नदी पर बना पुल एक बार फिर से ढह गया है. बुधवार को अचानक आए भूस्खलन की वजह से पुल ध्वस्त हो गया, जिससे हेमकुंड साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं, फूलों की घाटी घूमने जाने वाले पर्यटकों और पुलना गांव के निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यह तीसरी बार है जब पिछले 17 सालों में यह पुल टूटा है, जिससे लोगों के लिए गंभीर स्थिति पैदा हो गई है.

गोविंदघाट क्षेत्र हमेशा से आपदाओं के लिए संवेदनशील रहा है. 2007 में पहला झूला पुल टूटा था, जिसे 2008 में वाहन पुल से बदला गया. लेकिन 2013 की विनाशकारी बाढ़ में यह पुल भी बह गया. इसके बाद 2015 में एक नया 105 मीटर लंबा सस्पेंशन ब्रिज बनाया गया था, जो अब भूस्खलन की चपेट में आकर ध्वस्त हो गया. बार-बार पुल टूटने की वजह से यहां के निवासियों और श्रद्धालुओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है

पुल टूटने से आवाजाही बंद
हेमकुंड साहिब की यात्रा गर्मियों में शुरू होती है और हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं. इसके अलावा, पर्यटक फूलों की घाटी घूमने भी आते हैं. लेकिन पुल टूटने से यात्रियों की आवाजाही बाधित हो गई है. पुलना गांव के 101 परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो रही है.

गांव के लोगों के लिए सबसे बड़ी चिंता उनकी दैनिक जरूरतों और आपातकालीन स्थितियों की है. पुलना के निवासी आशीष चौहान ने बताया कि अब गांव का संपर्क बाकी क्षेत्रों से कट गया है. अप्रैल में गांव में दो शादियां हैं और एक गर्भवती महिला की डिलीवरी भी होनी है. पुल नहीं होने से यह सभी आयोजन मुश्किल में पड़ सकते हैं.

ग्रामीणों का जनजीवन भी अस्त-व्यस्त
पुल टूटने की वजह से ग्रामीणों के दोपहिया और चारपहिया वाहन भी दोनों तरफ फंस गए हैं. जिनके वाहन पुलना की तरफ थे, वे बाहर नहीं आ सकते और जो गोविंदघाट की तरफ थे, वे गांव नहीं जा सकते. इससे उनके रोजमर्रा के काम भी ठप हो गए हैं. बार-बार पुल टूटने की वजह से न सिर्फ यात्रियों को दिक्कत होती है, बल्कि स्थानीय लोगों का जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो जाता है. अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान कब तक निकालते हैं.

ग्रामीणों ने मवेशियों की आवाजाही के लिए नदी पर एक कच्ची पुलिया बना रखी है. अब जब मुख्य पुल टूट गया है, तो लोग इसी कच्ची पुलिया के सहारे नदी पार कर रहे हैं. लेकिन यह पुलिया बहुत संकरी और कमजोर है, जिससे भारी जोखिम बना हुआ है.

ग्रामीणों ने पुल टूटने के बाद वैकल्पिक रास्ते की तलाश की 
अलकनंदा नदी और आसपास के पहाड़ों में लगातार भू-स्खलन और बाढ़ की वजह से यहां बने पुल बार-बार टूट जाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यहां एक स्थायी और मजबूत पुल बनाया जाना जरूरी है, जो प्राकृतिक आपदाओं को सह सके. ग्रामीणों और यात्रियों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द एक सुरक्षित और स्थायी पुल बनाया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की परेशानियों से बचा जा सके.

स्थानीय प्रशासन ने पुल के टूटने के बाद वैकल्पिक रास्ते की तलाश शुरू कर दी है. चमोली जिला प्रशासन के अनुसार, जल्द ही अस्थायी पुल बनाने की कोशिश की जाएगी ताकि लोगों की आवाजाही सुचारू हो सके. लेकिन ग्रामीणों और यात्रियों की मांग है कि यहां एक स्थायी और मजबूत पुल बनाया जाए, जिससे हर साल आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिल सके.

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