Ansal api group case how crores of rupees get stuck know here every thing
Ansal API News: उत्तर प्रदेश में अंसल ग्रुप को लेकर सियासत तेज हो गई है. मंगलवार, 4 मार्च को यूपी विधानसभा के बजट सत्र में संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में अंसल ग्रुप को लेकर बड़ा बयान दिया. सीएम योगी ने साफ कहा था कि- होम बायर्स के साथ धोखा हुआ. साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी को लेकर कहा कि अंसल आपकी ही उपज थी. आज उसपर शिकंजा हमने कसा. सीएम योगी ने भरोसा दिलाया कि किसी होम बायर्स के साथ खिलवाड़ नहीं होगा.धोखाधड़ी करने वालों को उनकी सरकार पाताल से भी निकाल कर सजा देगी.
दरअसल 3 मार्च को सीएम योगी ने हाउसिंग डिपार्टमेंट के साथ अहम बैठक की थी.सीएम योगी तक अंसल की तरफ से निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की शिकायत भी पहुंची थी.जिसपर सीएम योगी ने सख्त एक्शन लेते हुए FIR दर्ज कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. सीएम योगी के निर्देश पर LDA की तरफ से अंसल और उसके मालिकों के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है.
अंसल पर निवेशकों से प्लॉट, फ्लैट और दुकानों के नाम पर निवेश करवाने के बाद साजिश के तहत दिवालिया घोषित करने का आरोप है.जिसके बाद हजारों निवेशकों के करोडों रुपए डूबने के हालात बन गए हैं.हालांकि इस पूरे मामले पर अब सियासी तनातनी शुरू हो गई है.अखिलेश यादव का आरोप है कि अंसल के प्रोजेक्ट पर बुलडोजर चलवाने की जगह बीजेपी उनके प्रोजेक्ट का उद्घाटन करती रही.वहीं बीजेपी ने भी पलटवार करते हुए अंसल को समाजवादी पार्टी की उपज बताया है.
अखिलेश ने साधा निशाना
वहीं इस पूरे मामले अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर सीएम योगी पर निशाना साधा है.उन्होंने लिखा- अपनी नाकामी को छुपाने के लिए जब लोग किसी और का नाम लेते हैं तो भूल जाते हैं कि उसी के नाम से बनी सिटी में स्थित मॉल और हॉस्पिटल का उन्होंने ही उद्घाटन किया था और उसी विशाल परिसर में बने एक नये होटल में G20 के मेहमान आपने ही ठहराए थे और वही वो जगह है जहाँ अरबों रुपए का सच्चा इंवेस्टमेंट आया. निवेशकों पर आरोप लगाकर हतोत्साहित करने से न तो निवेश का विकास होगा, न ही प्रदेश का. उप्र के सभी समझदार लोग कह रहे हैं अगर सब गलत था तो आप वहाँ अपना बुलडोजर लेकर जाते, कैंची लेकर उद्घाटन करने क्यों पहुँच गये?
अखिलेश ने लिखा- जनता कह रही है जब उसे ढूँढने पाताल लोक जाएं तो परतों में दबी उस गहरी वजह की भी खोज-ख़बर लेते आएं जो उनकी गद्दी को हिला रही है. उनके सत्ता से बेदख़ल होने की जो चर्चाएं हर तरफ़ फैली हैं, ये उसीकी खीझ है. विस्थापन का डर ही उनके मुँह से ऊंची आवाज़ बनकर निकल रहा है. सफलता व्यक्ति को शांत, शालीन और शिष्ट बनाती है और विफलता वही जो दिख रहा है.
LDA एक्शन में, गाजियाबाद में भी FIR
उधर सीएम योगी के निर्देश के बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण एक्शन में आ गया है. जिन जिलों में मामले हैं वहां FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं. लखनऊ में LDA और होम बायर्स की समीति तैयार करने का निर्देश दिया गया है. सीएम ने कहा है कि कोर्ट में अंसल के खिलाफ मजबूत सबूत पेश करें.
लखनऊ के अलावा गाजियाबाद में भी अंसल ग्रुप पर केस दर्ज किया गया है. गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से केस दर्ज कराया गया है. दो डायरेक्टर, जनरल मैनेजर पर मुकदमा किया गया है. इन पर विकास कार्य नहीं करने का आरोप है.
अब आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है? दरअसल अंसल API दिवालिया घोषित हुआ. प्लॉट, फ्लैट, विला और प्लॉट में निवेश करता था. इसमें 3 हजार निवेशकों निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए फंस गए
अंसल पर निवेशकों का आरोप है कि वह साजिश के तहत दिवालिया घोषित हुआ. आरोप है कि अंसल ने लखनऊ में 250 करोड़ की जमीन बेची और 80 करोड़ के लिए दिवालिया घोषित हो गया. दावा है कि अंसल में 7000 निवेशकों का पैसा लगा हुआ है.
बात अंसल के प्रोजेक्ट्स की करें तो लखनऊ में सुशांत गोल्फ सिटी प्रोजेक्ट है जो 6,400 एकड़ में फैला है. यह प्रोजेक्ट जेवर एयरपोर्ट से दोगुना है.
मामला अचानक से सुर्खियों में कैसे आया?
बता दें मामला काफी दिनों से चल रहा था. 3 मार्च को जब अंसल के लोगों की एक मीटिंग होती है. अलग-अलग समय पर यह अंसल के लोग अपने हिसाब से कर रहे थे पर जब स्थानीय विधायक राजेश्वर सिंह जब उस मीटिंग में शिरकत करते हैं और उसके बाद वो मुख्यमंत्री से जब इस विषय पर बात करते हैं तब यह मामला हाईलाइट होता है क्योंकि उसी मीटिंग के
बाद मुख्यमंत्री भी अपने आवास पर एक बैठक करते हैं.
जब सीएम इस पूरे प्रकरण से जुड़ी हुई एक-एक जानकारियां लेते हैं तो उनको पता चलता है कि करीबन 5,000 के करीब ऐसे बायर्स हैं जिनका हित इससे प्रभावित हो रहा है. करोड़ों रुपए यहां पर इन्वेस्ट किए गए हैं पर लोग को लगभग पिछले 10 से 15 साल से लोग परेशान हो रहे हैं. साल 2011 से लोगों ने यहां पर अपने पैसे इन्वेस्ट किए हैं और लोगों को यह उम्मीद थी कि जब वो रिटायरमेंट की तरफ बढ़ेंगे तब तक उनके पास अपना एक आशियाना होगा. हालांकि पिछले डेढ़ दशक में उनको ना उनको आशियाना मिल पाया ना उनको जमीन मिल पाई.
बता दें कि साल 2005 में अंसल के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत होती है. साल 2006 में परमिशन मिलती तब उस वक्त समाजवादी पार्टी की सरकार थी. उसके बाद फिर साल 2007 में बीएसपी की गवर्नमेंट आई और ये फर्स्ट फेज उस दौरान कंप्लीट हुआ. साल 2011-12 के बीच में दूसरे फेज की शुरुआत होने की बात शुरू हुई.
साल 2011 में सेकंड फेज के अनाउंसमेंट की बात हुई तब लोगों ने एडवर्टाइजमेंट देख कर निवेश किया. उस एडवर्टाइजमेंट के अनुसार एलडीए के साथ अंसल की एमओयू हुई थी. लोगों को विश्वास हुआ कि अंसल और एलडीए का एमओयू है तो उनका पैसा सही जगह पर जा रहा है लोगों ने साल 2010-11 से यहां इन्वेस्ट करना शुरू किया.
सियासत भी शुरू
जानकारी के अनुसार कई लोग ऐसे हैं जिनका 15 लाख से लेकर के 30 लाख 40 लाख तक यहां पर इन्वेस्ट है. इसके ज्यादा भी पैसे लोगों ने निवेश किए हैं. यह एक मिनिमम ऐसा अमाउंट है जो लोगों ने इतना दिया ही है. उसके बाद जब लोगों को सिर्फ आश्वसान मिला. जमीनें नहीं. वहीं इस मामले में एलडीए का यह पक्ष है कि हमने एमओयू किया था पर हम उनसे कई चीजों को लेकर के एग्रीमेंट चाहते थे.
एलडीए के अनुसार एसटीपी के लिए अंसल को जमीन खरीदनी थी और बाकी लैंड बैंक अंसल को खरीदना था. पर वो जब अलग-अलग चीजें नहीं खरीद रहे थे इस कारण हम उनको अप्रूवल नहीं दे पाए.
इन सबके बीच अंसल मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी ने कहा है कि बायर्स के साथ न्याय होगा वहीं समाजवादी पार्टी ने पूछा कि बुलडोजर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?कांग्रेस ने भी सरकार पर सवाल उठाए और पूछा कि पहले एक्शन क्यों नहीं लिया? (विवेक राय के इनपुट के साथ)