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Supreme Court acquits woman in 23 year old Minor murder case


SC Verdict In Haryana Minor Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की एक महिला को 23 साल पुराने नाबालिग हत्या मामले में बरी कर दिया. महिला को पहले आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था.

दरअसल, ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले में त्रुटियां पाई गईं. सिर्फ हथियार (‘गंडासी’) की बरामदगी के आधार पर दोषी ठहराना गलत था. महिला के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले, इसलिए संदेह का लाभ दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों पलटा फैसला?
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से दिए गए साक्ष्य आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे.
हत्या के मकसद को साबित करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले. कोई गवाह यह साबित नहीं कर सका कि मृतक को आखिरी बार महिला के साथ देखा गया था. बरामद हथियार पर महिला के फिंगरप्रिंट नहीं थे, और यह भी सिद्ध नहीं हो सका कि उसी हथियार का इस्तेमाल हत्या में हुआ था. मृतक के शव की बरामदगी भी आरोपी महिला की निशानदेही पर नहीं हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,”केवल ‘गंडासी’ (कुल्हाड़ी) की बरामदगी के आधार पर दोषी ठहराना गलत है. अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूत नहीं दिए, इसलिए संदेह का लाभ देते हुए महिला को बरी किया जाता है.”

बता दें कि जांच के दौरान, महिला को आरोपी बताया गया और उसके कहने पर खून से सने हथियार (गंडासी) की बरामदगी दिखाई गई. सीरोलॉजिकल रिपोर्ट अनिर्णायक थी – यानी, यह साबित नहीं हो सका कि हथियार पर मिले खून के धब्बे मृतक से जुड़े थे. महिला मानसिक अवसाद से पीड़ित थी और उसने ट्रायल कोर्ट में इस संबंध में बयान भी दिया था. महिला मध्यम आयु वर्ग की थी और मृतक केवल 4.5 साल का था.

न्यायपालिका की टिप्पणी

अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि हत्या से ठीक पहले मृतक महिला के साथ था.हथियार की बरामदगी आरोपी के खिलाफ निर्णायक सबूत नहीं  हो सकता. महिला की मानसिक स्थिति को भी ध्यान में रखते हुए उसे संदेह का लाभ दिया गया.

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