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Maha Kumbh 2025 in India : अमेरिका के विश्व विख्यात हावर्ड यूनिवर्सिटी के टॉप प्रोफेसरों ने महाकुंभ में परंपरा के साथ तकनीक के संगम और व्यापार के साथ आध्यात्मिकता संबंध पर अपने अनुभवों को साझा किया. उन्होंने आज यानी बुधवार (26 फरवरी) को समाप्त होने वाले दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक संगम से मिली सीख और अवसरों पर भी जोर दिया.

न्यूयॉर्क के भारतीय दूतावास में चर्चा का किया गया आयोजन

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में भारतीय दूतावास के जनरल बिनय प्रधान ने सोमवार (24 फरवरी) को एक विशेष चर्चा का आयोजन किया, जिसका टाइटल था, ‘दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक संगम महाकुंभ से मिला आत्म-ज्ञान’. भारतीय दूतावास के इस विशेष आयोजन में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के जॉर्ज पाउलो लेमन प्रोफेसर तरुण खन्ना, हार्वर्ड डिविनिटी स्कूल में कंपैरेटिव रिलीजन एंड इंडियन स्टडिज की प्रोफेसर डायना एक और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर टिओना जुजुल शामिल हुए.

प्रोफेसरों ने 2013 के कुंभ मेला के अनुभवों को किया साझा

चर्चा के दौरान सभी प्रोफेसरों ने साल 2013 के कुंभ मेला के दौरान किए अपने ऑन-ग्राउंड रिसर्च से हासिल आत्म-ज्ञान और अनुभवों को साझा किया. इसके अलावा उन्होंने इस साल के मेले के आयोजन के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी बताया, जिसमें आध्यात्मिकता और इंजीनियरिंग से एडमिनिस्ट्रेशन और परंपरा, तकनीक और इकोनॉमिक्स का संयोग तक शामिल था.

प्रोफेसरों ने एक-एक अपने अनुभवों को किया साझा

प्रोफेसर तरुण खन्ना ने न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास के जनरल की ओर से आयोजित इस विशेष चर्चा को संबोधित करते हुए कुंभ मेले में स्वच्छता से लेकर तकनीक समेत विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया. उन्होंने कहा, “एक स्कॉलर के तौर पर मैं परंपरा और तकनीक के ऐसे संगम को देखकर काफी उत्साहित हूं क्योंकि इसी तरह से समाज का विकास होता है.” उन्होंने आगे कहा, “कुंभ मेला एक बेहद आकर्षक स्थान है, जहां टेक्नोलॉजी को धर्म के साथ देखा जा सकता है. 2025 के महाकुंभ को स्वच्छ कुंभ कहा गया और यह वास्वतिक रूप से स्वच्छ है.”

प्रोफेसर डायना ने कहा कि कुंभ मेले एक महान यात्रा है. लेकिन इसमें सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरे मेला शहर को काफी कम समय में तैयार किया गया है. इसके अलावा में इसमें इंजीनियरिंग टीम, इलेक्ट्रिक सबस्टेशन, एक शहरी वातावरण, स्वास्थ्य सुविधाएं और छोटे उद्योगों को भी जोड़ा गया है. उन्होंने बड़ी संख्या में रेफ्यूजी आबादी के लिए अस्थायी व्यवस्था की जरूरत को लेकर कहा, “कुंभ मेला कम समय में साधारण चीजों के साथ सामान्य संरचनाओं को तैयार करने का एक बहुत अच्छा उदाहरण है.”

वही, प्रोफेसर एक के रिसर्च टीम का हिस्सा बनकर पहली बार भारत आईं प्रोफेसर टिओना जुलुल ने कुंभ मेले में लॉजिस्टिकल चुनौतियों और समाधान को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह 2037 में लगने वाले अगले कुंभ में भारत वापस की उम्मीद करतीं हैं.

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