Telangana sringla nahar tunnel ACCIDENT rescue operation Know latest updates in 10 points
Telangana Tunnel Collapse: तेलंगाना में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन टनल की छत का एक हिस्सा ढह जाने से आठ व्यक्ति अंदर फंस गए हैं और उन्हें बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है. तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने नगरकुर्नूल जिले में हुए इस हादसे के बारे में बताया कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले एक्सपर्ट्स भी शामिल हैं.
रेड्डी ने कहा कि इसके अलावा सरकार सेना और एनडीआरएफ की भी मदद ले रही है. इस टनल में फंसे हुए लोगों में दो व्यक्ति इंजीनियर और दो ऑपरेटर हैं. चार अन्य मजदूर हैं. ये सभी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. सूत्रों ने बताया कि फंसे हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में ताजा हवा पहुंचाई जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को फोन कर घटना की जानकारी ली और बचाव अभियान के लिए केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया.
टनल हादसे से जुड़े 10 बड़े अपडेट
- पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हुई हैं. शनिवार सुबह पहली शिफ्ट में 50 लोग 200 मीटर लंबी बोरिंग मशीन लेकर सुरंग के अंदर गए. अधिकारी ने बताया, ‘कार्य के सिलसिले में वे सुरंग के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए थे, तभी अचानक छत ढह गई.
- घटना की वजह से मशीन के आगे चल रहे दो इंजीनियरों समेत आठ सदस्य फंस गए, जबकि 42 अन्य सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर आ गए. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की मदद से उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं. अधिकारी ने कहा, ‘पानी निकालने की प्रक्रिया जारी है. यह एक सतत प्रक्रिया है जो जटिल है. ये कर्मी सुरंग के 14 किलोमीटर अंदर फंसे हुए हैं.
- तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, ‘हमारी सरकार उन आठ लोगों की जान बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. हमने उत्तराखंड की घटना में लोगों को बचाने में शामिल विशेषज्ञों से भी बात की है.’ मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री को स्थिति से अवगत कराया और बताया कि फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयास जारी हैं.
- प्रेस रिलीज के मुताबिक रेड्डी ने यह भी बताया कि राज्य के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और जुपल्ली कृष्ण राव घटनास्थल पर मौजूद हैं और बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरंग में प्रवेश करने वाली टीमों का मार्गदर्शन करने के लिए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर तक रास्ता साफ है और सुरंग के 14 किलोमीटर पर ढांचा ढह गया है. हालांकि, उन्होंने बताया कि बचाव दल सुरंग की समग्र स्थिति को लेकर आशंकित हैं.
- सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘घटनास्थल पर बहुत सारा मलबा जमा हो गया है, इसलिए बचाव दल आगे बढ़ने और किसी भी संभावित खतरे का पता लगाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं. बचाव अभियान पूरी रात जारी रहेगा.’
- सूत्रों ने बताया कि टीमें अंदर जाने से हिचकिचा रही हैं, क्योंकि अंदर से अभी भी तेज आवाजें आ रही हैं. उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि नलगोंडा जिले में चार लाख एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए श्रीशैलम परियोजना के तहत पानी की व्यवस्था के लिए ‘दुनिया की सबसे लंबी 44 किलोमीटर लंबी सुरंग’ पर काम शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि 44 किलोमीटर में से करीब 9.50 किलोमीटर पर काम होना बाकी है.
- इससे पहले, सरकारी स्वामित्व वाली ‘सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड’ (एससीसीएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एन बलराम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कोयला खननकर्ताओं के 19 विशेषज्ञों की एक टीम भी बचाव अभियान में शामिल होने के लिए घटनास्थल के लिए रवाना हो गई है.
- बलराम के अनुसार, एससीसीएल के पास ऐसी घटनाओं में लोगों को बचाने की विशेषज्ञता है और उसके पास आवश्यक उपकरण भी हैं. कंपनी की बचाव टीम का नेतृत्व महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी कर रहे हैं. सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री रेड्डी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और उन्होंने अधिकारियों को फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं.
- NDRF के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने कहा, “कल रात करीब 10 बजे हम स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सुरंग के अंदर गए. सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर की दूरी में से हमने 11 किलोमीटर इस लोकोमोटिव पर और बाकी 2 किलोमीटर कन्वेयर बेल्ट पर तय किया. जब हम TMV (टनल बोरिंग मशीन) के अंत में पहुंचे तो हमने फंसे हुए श्रमिकों से उनके नाम पुकारकर संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन हमें कुछ नहीं मिला. मलबे से 200 मीटर का पैच भरा हुआ है. जब तक इस मलबे को साफ नहीं किया जाता, हम फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान नहीं जान पाएंगे और उन्हें बचा नहीं पाएंगे.
- NDRF के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने बताया कि सुरंग के 11-13 किलोमीटर के बीच के पैच में पानी भरा हुआ है और जब तक पानी नहीं निकाला जाता, तब तक मलबा साफ करने का काम शुरू नहीं होगा. पहले हमें पानी निकालने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी और फिर मलबा हटाना होगा. फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी तक पता नहीं चल पाया है.
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