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Shiv Sena Eknath Shinde Ministers Ready to fight In Devendra Fadnavis Cabinet after Jalna Kharpudi project on hold ANN


Eknath Shinde News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच कथित मतभेदों ने एक नई दिशा ले ली है. शिंदे सरकार की ओर से स्वीकृत 900 करोड़ रुपये की जालना खारपुड़ी परियोजना पर अब रोक लगा दी गई है. मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के निर्देश पर सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (CIDCO) के प्रबंध निदेशक को परियोजना की जांच के आदेश दिए गए हैं. 

ऐसा कहा जा रहा है कि परियोजना पर रोक लगाने की वजह से एकनाथ शिंदे गुट के मंत्री नाराज हो गए हैं. शिवसेना प्रमुख और डिप्टी सीएम शिंदे पहले से ही खफा चल रहे हैं. अब इस मामले से शिंदे के मंत्रियों और विधायकों भी नाराजगी की बात कही जा रही है.

सियाकी तनाव और परियोजना की जांच

राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी के बीच बढ़ते टकराव के रूप में देखा जा रहा है. पूर्व विधायक और उद्धव ठाकरे गुट के नेता संतोष सांबरे ने इस मामले में मुख्यमंत्री फडणवीस से ठोस कार्रवाई की मांग की है. परियोजना की जांच ने इसकी वैधता और शिंदे सरकार द्वारा दी गई मंजूरी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. 

सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब 2020 में इसे आर्थिक रूप से अव्यवहार्य करार दिया गया था, तो 2024 में यह अचानक व्यवहार्य कैसे हो गई?

महाराष्ट्र सरकार की स्थिरता पर सवाल!

इस घटनाक्रम से महाराष्ट्र सरकार की स्थिरता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं, जिससे गठबंधन सरकार की मजबूती पर संदेह गहराता जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह विवाद और बढ़ा, तो बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के संबंधों में बड़ी दरार पड़ सकती है. अब सभी की नजर CIDCO की जांच रिपोर्ट पर है, जो यह तय करेगी कि यह परियोजना आगे बढ़ेगी या बंद होगी.

खारपुड़ी परियोजना पर विवाद क्यों?

  • अनियमितताओं के आरोप: उद्धव ठाकरे गुट का आरोप है कि इस परियोजना में कुछ व्यापारियों और दलालों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अनियमितताओं को बढ़ावा दिया.
  • भूमि अधिग्रहण पर संदेह: परियोजना के तहत स्थानीय किसानों और जमीन मालिकों से कम कीमत पर भूमि खरीदी जा रही थी, जबकि बाद में इसका लाभ संपन्न लोगों को दिया जाने की योजना थी.
  • अर्न्स्ट एंड यंग की रिपोर्ट: 2018 में CIDCO ने इस परियोजना की व्यवहार्यता जांचने के लिए अंतरराष्ट्रीय फर्म अर्न्स्ट एंड यंग को नियुक्त किया था. 2020 में उनकी रिपोर्ट ने इसे आर्थिक रूप से अव्यवहार्य करार दिया.
  • सरकारी रुख में बदलाव: जुलाई 2020 में सरकार ने इस परियोजना को अधिसूचित किया, लेकिन 2022-23 में इसकी दोबारा समीक्षा की गई. 2023 में केपीएमजी की रिपोर्ट के आधार पर इसे 2024 में मंजूरी दी गई.
  • अचानक व्यवहार्य कैसे? राजनीतिक विरोधियों का कहना है कि यह परियोजना कुछ साल पहले आर्थिक रूप से अव्यवहार्य थी, लेकिन अब इसे मंजूरी क्यों मिली? क्या इसमें कोई दबाव या राजनीतिक स्वार्थ शामिल था?

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