India Energy Week 2025: Ethanol will end the energy crisis! Pollution will reduce, government treasury will be filled
IEW 2025: राजधानी दिल्ली में जारी ‘इंडिया एनर्जी वीक 2025’ में एथनॉल के इस्तेमाल पर चर्चा की गई. इस इवेंट में ऐसे वाहन पेश किए गए हैं, जो एथनॉल से रफ्तार भरेंगे. इससे पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी. देश में तेजी से बढ़ते ऊर्जा संकट और वायु प्रदूषण के बीच एथनॉल एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है. कार्यक्रम के दौरान एथनॉल के इस्तेमाल पर जोर दिया गया और इसे बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख योजनाएं प्रस्तुत की गईं हैं.
देश में एथनॉल का उत्पादन और उपयोग कई लाभ प्रदान करता है. यह वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक है, क्योंकि एथनॉल एक स्वच्छ जलनशील ईंधन है. दूसरा यह विदेशी मुद्रा की बचत करता है, क्योंकि इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होती है. इसका मतलब है कि सरकारी खजाना भरेगा. तीसरा, यह किसानों की आय बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है, क्योंकि इससे कृषि उपज की कीमतें स्थिर रहती हैं और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता है.
पेट्रोल में एथनॉल की मिश्रण को मिल रहा है बढ़ावा
भारत सरकार ने साल 2020 में ‘एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम’ शुरू किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य पेट्रोल में एथनॉल की मिश्रण को बढ़ावा देना था. यह कोशिश साल 2025 तक 20% एथनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में है. सरकार ने एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहनों की घोषणा की हैं, इसमें एथनॉल उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए सब्सिडी एथनॉल मिश्रण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है.
पीएम मोदी ने एथनॉल मिश्रण पर दिया जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एथनॉल मिश्रण में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य अक्टूबर 2025 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण हासिल करना है. उन्होंने बताया कि भारत का जैव ईंधन उद्योग तेजी से विकास के लिए तैयार है, जिसमें 500 मिलियन मीट्रिक टन स्थायी फीडस्टॉक शामिल है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान, ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस की स्थापना की गई, जो लगातार विस्तार कर रही है. पीएम मोदे का मानना है कि एथनॉल मिश्रण और जैव ईंधन के क्षेत्र में भारत का यह कदम देश की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
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