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Shiv Bhojan Thali Scheme News: महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार प्रदेश की वित्तीय हालात को सुधारने के लिए ‘शिवभोजन थाली’ और ‘आनंद शिधा’ जैसी योजनाओं को बंद करने पर विचार कर सकती है. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा हो रही है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में एक कैबिनेट बैठक में अधिकारियों से इन योजनाओं की समीक्षा करने का आदेश दिया है.
महायुति सरकार अब इन योजनाओं के खर्च और प्रभाव का आकलन कर रही है और आगामी बजट सत्र में इस बारे में कोई निर्णय लिया जा सकता है. इन योजनाओं पर राज्य के खजाने पर सालाना लगभग 1,300 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है.
शिवभोजन थाली योजना पर राजनीति!
उधर, पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर शिवभोजन थाली योजना को बंद न करने की मांग की है. उनका कहना है कि यह योजना गरीबों के लिए एक अहम स्रोत है, जो समय पर भोजन उपलब्ध कराती है.
जितेंद्र आव्हाड ने सरकार पर लगाए आरोप
वहीं, एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह चुनाव प्रचार पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, जबकि गरीबों के लिए शुरू की गई योजनाओं पर खर्च में कटौती की जा रही है. उन्होंने सवाल किया कि अगर ‘लाडली बहन योजना’ के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, तो शिवभोजन थाली जैसी योजना को क्यों बंद किया जा रहा है. बहरहाल अब सरकार को यह निर्णय लेना है कि वह इन योजनाओं को जारी रखेगी या बंद करेगी. ये योजनाएं राज्य के गरीब वर्ग के लिए सहारा हैं.
क्या है शिवभोजन थाली योजना ?
शिवभोजन थाली योजना को महाविकास अघाड़ी सरकार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के शासन के दौरान शुरू किया था. इसका मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को सस्ता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है. इस योजना के तहत 10 रुपये में दो चपाती, चावल, दाल और सब्जी की पूरी थाली दी जाती है. शहरी क्षेत्रों में इसकी वास्तविक लागत 50 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 35 रुपये होती है, जिसे सरकार वहन करती है. इस योजना के तहत राज्यभर में 1,699 भोजनालयों के माध्यम से प्रतिदिन करीब 1,80,000 थालियां बांटी की जाती हैं.
आनंद शिधा योजना
आनंद शिधा योजना एक त्योहार किट वितरण योजना है, जिसमें दिवाली, गुड़ीपड़वा और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जयंती जैसे खास अवसरों पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को जरूरी वस्तुएं दी जाती हैं. हर किट में चीनी, खाद्य तेल, रवा, चना दाल, मैदा और पोहा जैसी वस्तुएं शामिल होती हैं. इस योजना का कुल वार्षिक खर्च 160 करोड़ रुपये के आसपास होता है और 2024 में 1.60 करोड़ किट वितरित किए जाने का अनुमान है.
अजित पवार और भुजबल में हुई बात
महाराष्ट्र में मंत्रिपद ना मिलने से पिछले कई दिनों से छगन भजबल नाराज चल रहे हैं. उन्होंने कहा था कि ‘जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.’ इसके बाद पार्टी के नेता सुनिल तटकरे और प्रफुल्ल पटेल लगातार भुजबल के संपर्क में रहे हैं. पहली बार अजित पवार ने फोन करके भुजबल से बातचीत की है. भुजबल पहले महायुति सरकार में मंत्री थे लेकिन इस बार नई सरकार में उन्हें जगह नहीं दी गई.
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