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रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, डॉलर के मुकाबले पहली बार 87 रुपये पर पहुंचा




नई दिल्ली:

डॉलर के मुकाबले रुपये ने अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है. सोमवार को बाजार खुलते ही रुपये में बड़ी गिरावट दर्ज की गई. आज पहली बार रुपया 87 के स्तर के नीचे फिसल गया. शुरुआती कारोबार में रुपया 67 पैसे टूटकर 87.29 प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया.  के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. 

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में शुक्रवार को रुपया 86.61 पर बंद हुआ था, लेकिन आज बाजार खुलते ही 41 पैसे की गिरावट के साथ 87.02 पर पहुंच गया, जो कि फरवरी 2023 के बाद सबसे कमजोर शुरुआत रही. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं.इसके चलते वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है, जिससे रुपये पर भी असर पड़ा है. 

ट्रंप के ‘टैरिफ वॉर’ से रुपये में हलचल  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी की वजह से डॉलर मजबूत हो गया है, जिससे रुपये समेत दुनिया की कई करेंसी पर असर पड़ा. डॉलर इंडेक्स 1.4% उछलकर 109.84 पर पहुंच गया.वहीं, रुपये में पिछले 3-4 महीनों से लगातार कमजोरी बनी हुई है और 2024 में अब तक 2.78% गिर चुका है. 

ट्रंप ने चीन, कनाडा और मैक्सिको पर नए टैरिफ लगाए हैं, जिससे ग्लोबल ट्रेड वॉर की चिंता बढ़ गई है. इस फैसले से रुपये पर और दबाव बढ़ा है. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या ट्रंप सभी आयातित सामानों पर 10% टैक्स लगा देंगे? अगर ऐसा हुआ तो भारत पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि भारत अमेरिका को कई चीजों का निर्यात करता है. 

भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?  

हालांकि, चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि अमेरिकी टैरिफ रुपये को कितना प्रभावित करेगा.उन्होंने बताया कि बजट में टैक्स में कटौती की गई है, ताकि प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा मिले. इसके अलावा, सरकार को उम्मीद है कि अमेरिकी टैरिफ का असली असर फाइनेंशियल मार्केट में दिखेगा. 

अन्य देशों की करेंसी भी बुरी तरह प्रभावित  

रुपये की तरह ही चीन, मैक्सिको और कनाडा की करेंसी में भी जबरदस्त गिरावट आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को ऑफशोर ट्रेडिंग में चीन की करेंसी युआन रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई. मैक्सिको का पेसो और कनाडा का डॉलर भी कई वर्षों के मुकाबले सबसे कमजोर स्थिति में आ गए हैं. इससे व्यापार युद्ध (Trade War) बढ़ने की आशंका और गहरा गई है. 





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