Bhagirath Manjhi Join Congress 3 Percent Musahar Caste in Bihar Assembly Election 2025 ANN
Bhagirath Manjhi Join Congress: माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध बिहार के गया जिले के गहलौर गांव के रहने वाले दशरथ मांझी का नाम पूरे देश और दुनिया में चर्चित है. मंगलवार (28 जनवरी) को दिल्ली में उनके इकलौते बेटे भागीरथ मांझी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. इससे पहले वे जेडीयू में थे. इसी साल बिहार में विधानसभा का चुनाव भी है तो सवाल उठ रहा है कि दशरथ मांझी के बेटे की कांग्रेस में एंट्री से किस पार्टी को नुकसान होगा? या कोई फर्क नहीं पड़ेगा?
भागीरथ मांझी मुसहर जाति से आते हैं. माना जाता है कि बिहार में करीब 3 फीसद इस जाति की संख्या है. गया और जहानाबाद में मुसहर जाति की संख्या अधिक है. इसके अलावा उत्तर बिहार के कोसी सीमांचल में सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में मांझी समाज की संख्या ज्यादा है. 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने भागीरथ मांझी को अपनी पार्टी में शामिल तो कर लिया लेकिन उसे कितना फायदा होगा? एनडीए में जीतन राम मांझी हैं तो सवाल यह है कि सत्ता पक्ष को कितना नुकसान होगा?
दशरथ मांझी के नाम पर हो सकता है कुछ फायदा
बिहार की राजनीति को समझने वाले और वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने कहा कि दशरथ मांझी का नाम एक ब्रांड है. भागीरथ मांझी उनके बेटे हैं. दशरथ मांझी के नाम पर कांग्रेस को कुछ फायदा हो सकता है, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं. वजह है कि भागीरथ मांझी राजनीति में सक्रिय भूमिका में कभी नहीं रहे हैं. कांग्रेस को फायदा भी तब होगा जब भागीरथ मांझी को दलित नेता के रूप में आगे प्रमोट किया जाएगा. कोई पद दिया जाएगा. किसी विधानसभा से सीट से चुनाव लड़ेंगे तो इसका फायदा मिल सकता है.
जीतन राम मांझी को नेता मानते हैं मुसहर समाज के लोग
दशरथ मांझी के गांव गहलौर के पास में ही रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार मुकेश पांडेय कहते हैं कि भागीरथ मांझी का गांव या आसपास के इलाकों में प्रभाव नहीं है कि वह अपने समाज के वोट को अपने पाले में कर लें. इधर-उधर घूमना और किसी के साथ बैठकर चले जाना ही उनका काम है. गया जिले में जीतन राम मांझी का प्रभाव ज्यादा है. दशरथ मांझी के इलाके के मुसहर समाज के लोग भी जीतन राम मांझी को ही अपना नेता मानते हैं.
बता दें कि जहानाबाद और गया को मिलाकर 13 विधानसभा सीट है. इन सभी 13 विधानसभा सीटों में मुसहर समाज का वोट बैंक जीतराम मांझी का माना जाता है. 13 में से चार विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित है. गया जिले में 10 विधानसभा क्षेत्र है जिसमें से तीन बाराचट्टी, इमामगंज और बोधगया सुरक्षित सीट है. जहानाबाद में मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित सीट है. इन सीटों पर मांझी समाज की संख्या अधिक है. अगर इन चार में किसी एक सीट पर भागीरथ मांझी को टिकट दिया जाता है तो अन्य सीटों पर भी कांग्रेस प्रभाव बना सकती है.
मुकेश पांडेय ने कहा कि दशरथ मांझी की 2007 में मृत्यु हुई थी. उसके बाद नीतीश कुमार ने उनके गांव में बहुत काम करवाया. कहा जाए तो गहलौर गांव एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है. दशरथ मांझी का स्मृति भवन बना हुआ है. म्यूजियम भी बना हुआ है. गांव में स्ट्रीट लाइट तो है ही साथ ही सड़क भी चकाचक है. पार्क की व्यवस्था की गई है. कुल मिलाकर वहां का नजारा देखने लायक है.
बताया कि नीतीश सरकार की ओर से उनके परिवार को बहुत ज्यादा सुविधा तो नहीं दी गई है, लेकिन उनकी पोती को आंगनबाड़ी सेविका बनाया गया. रहने के लिए घर की मांग की गई थी तो इंदिरा आवास के तौर पर उन्हें घर मिला था. इसके बाद में मौखिक रूप से कहा गया कि स्मृति भवन में पूरा परिवार रह सकता है. इन सब से भी मांझी समाज नीतीश कुमार से ज्यादा खफा नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को इसका लाभ मिलेगा या नहीं वह देखने वाली बात होगी.
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