india signs a 400 crore usd deal with russia will deployed voronezh radar in karnataka china pakistan in tension
India-Russia Relations : भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है. वहीं, अब इस दोनों देशों की दोस्ती ने रक्षा क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल कर लिया है और ये साझेदारी भारत के रणनीतिक ताकत को एक नई ऊंचाइयों तक लेकर जा रही है. ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट, एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के बाद अब भारत ने रूस के साथ 4 अरब डॉलर की एक नई डील साइन की है. इस डील के तहत रूस का अत्याधुनिक वोरोनेज रडार अब भारत में तैनात होने वाला है. इस अत्याधुनिक रडार सिस्टम की रेंज 8,000 किलोमीटर है.
कर्नाटक राज्य में तैनात किया जाएगा वोरोनेज रडार
रूस के अत्याधुनिक और 8 हजार किलोमीटर की रेंज वाला रडार सिस्टम को भारत के कर्नाटक राज्य के चित्रदुर्गा जिले में तैनात किया जाएगा, जो भारत के नया प्रहरी बनेगा. इस रडार से न सिर्फ भारत पाकिस्तान और चीन की हर गतिविधि पर नजर रख सकेगा, बल्कि इससे भारत खाड़ी और अफ्रीकी देशों के हवाई क्षेत्रों पर अपनी पैनी निगाहें बनाए रख पाएगा.
अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने की है डील
उल्लेखनीय है कि भारत और रूस की रक्षा साझेदारी दशकों पुरानी है. इसमें एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट और अब ये 8 हजार किमी की रेंज वाला वोरोनजर रडार की डील दोनों देशों की पक्की दोस्ती और मजबूत रक्षा साझेदारी का उत्तम प्रमाण है. अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाब के बावजूद भारत ने रूस के साथ 4 अरब डॉलर की ये डील साइन की है. ये कदम भारत की स्वतंत्र विदेश और रणनीतिक स्वायता का उदाहरण है.
रूस के इस वोरोवेज रडार सिस्टम की क्या है खासियत?
8 हजारी किमी रेंज वाले इस रडार को रूस की अल्माज एंड टेक कंपनी ने बनाया है, जो एस-400 डिफेंस सिस्टम के लिए जानी जाती है. यह रडार स्टील्थ फाइटर जेट्स, बैलिस्टिक मिसाइल सहित अन्य हवाई खतरों का आसानी से पता लगा सकता है. इस 8 हजार किमी की रेंज भारत को एक अभूतपूर्व लाभ देती है.
इससे चीन और पाकिस्तान के एयरबेस पर कौन-सा विमान उड़ान भर रहा है और कौन-सा लैंड कर रहा, इसकी सटीक बिल्कुल सटीक और रियल टाइल जानकारी भारत को मिल पाएगी.
चीन के स्टील्थ फाइटर जेट्स को आसानी से पकड़ सकता है वोरोनेज
उल्लेखनीय है कि चीन ने हाल ही में अपनी पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमानों को दुनिया के सामने पेश किया है. स्टील्थ तकनीक के कारण आम रडार इन फाइटर जेट्स को नहीं पकड़ सकता है. लेकिन वोरोनेज अपनी विशेष और एडवांस तकनीक के जरिए आसानी से इसका पता लगा सकती है.
भारत की आत्मनिर्भरता की दिखेगी छवि
रूस के वोरोनेज रडार के तैनाती में भारत की आत्मनिर्भरता की छवि भी दिखेगी. इस प्रोजेक्ट का 60 प्रतिशत से ज्यादा काम भारत में ही किया जाएगा, जिमेंस डीआरडीओ की एलआरडीई प्रमुख भूमिका निभाने वाली है.
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