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Azamgarh News Today: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का असर कई देशों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से पड़ा है. भारत इससे अछूता नहीं रहा है. भारत से हजारों किलोमीटर दूर लड़े जा रहे इस युद्ध का प्रभाव आजमगढ़ और आसपास के जिलों के लोगों पर भी पड़ा है. इसकी वजह यह है कि आजमगढ़ और मऊ के कई युवकों को नौकरी का झांसा देकर युद्ध के मुंह में धकेल दिया गया.

दरअसल, आजमगढ़ और मऊ जिले के कई लोग नौकरी की तलाश में जनवरी 2024 में एजेंटों के जाल में फंस कर रूस चले गए. इन्हें नौकरी के नाम पर यु्द्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया. इसमें आजमगढ़ के कन्हैया यादव, मऊ के श्यामसुंदर और सुनील यादव की रूस- यूक्रेन जंग में मौत हो चुकी है. 

आजमगढ़ के राकेश यादव और मऊ के बृजेश यादव घायल हो गए थे, जिसके बाद वे अब घर लौट आए हैं. इसी तरह विनोद यादव, जोगेंद्र यादव, अरविंद यादव, रामचंद्र, अजहरुद्दीन खान, हुमेश्वर प्रसाद, दीपक, धीरेंद्र कुमार अब तक लापता हैं. परिवार और रिश्तेदार उनकी राह देख रहे हैं. कंधरापुर थाना के खोजापुर माधवपट्टी निवासी योगेंद्र यादव भी उन्हीं में से एक हैं. 

‘एजेंट ने मेरे भाई को फंसा दिया’
योगेंद्र यादव के छोटे भाई आशीष यादव ने बताया कि मऊ के एजेंट विनोद यादव ने मेरे भाई को फंसा दिया. गार्ड की नौकरी के लिए रूस लेकर गए और फिर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भेज दिया. उन्होंने बताया कि भाई 15 जनवरी 2024 को विनोद, सुमित और दुष्यंत नाम के एजेंट उनको गार्ड और हेल्पर की नौकरी के लिए ले गए थे. 

आशीष यादव के मुताबिक, रूस पहुंचने के बाद उनके भाई को जबरन आर्मी की ट्रेनिंग देकर युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया. उन्होंने बताया कि उनके भाई से आखिरी बार मई 2024 में बात हुई थी. इसके बाद भाई का कुछ पता नहीं चला. भाई ने फोन पर बताया था कि 9 मई 2024 को युद्ध में उन्हें चोट लग गई थी.

आशीष के मुताबिक, एंबेसी से हम लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन जानकारी नहीं मिल सकी है. उन्होंने मांग की है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे, जिससे उनके भाई का पता चल सके. योगेंद्र की मां पत्नी और बच्चों का रो रोकर कर बुरा हाल है. 

इसी तरह की घटना शहर के गुलामपुरा निवासी अजहरूद्दीन के साथ भी घटित हुई. 27 जनवरी 2024 को एजेंट विनोद अपने साथ लेकर गया था. अजहरूद्दीन की मां नसरीन रो रोकर कहती हैं कि विनोद मेरे घर आया और बोला कि सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी है, दो लाख रुपये महीना मिलेंगे. उन्होंने कहा कि अच्छी सैलरी देखकर मेरा बेटा वहां चला गया. 

नसरीन को बेटे का इंतजार
पीड़ित मां नसरीन के मुताबिक, बेटा वहां गया तो दो महीने तक तो बात होती रही, लेकिन इसी बीच बेटे को ट्रेनिंग देकर लड़ाई के मैदान में भेज दिया गया. फिर एक दिन सूचना मिली कि युद्ध में बम गिरने से वह घायल हो गया. यह बात जब अजहरूद्दीन के पिता मैनुद्दीन को पता चली तो उन्हें हार्ट अटैक आ गया और आठ अप्रैल को उनकी मौत हो गई. 

पिता की मौत के बाद नसरीन एजेंट विनोद से अपने बेटे से बात कराने की जिद करने लगीं, लेकिन उसने बात नहीं कराई. उन्होंने बताया कि हमारे पास अजहरुद्दीन के पिता के इलाज के भी पैसे नहीं थे, गहने बेचकर इलाज कराया फिर भी अजहरूद्दीन के अब्बू नहीं बचे.

नसरीन ने बताया कि उन्होंने एंबेसी से संपर्क बहुत मिन्नतें की कि बेटे को उसके पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने दिया जाए, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला. उन्होंने कहा कि बेटे से जब अंतिम बार बात हुई तब उसने कहा था कि अम्मी छह महीने तक यहां काम करूंगा और लौट आऊंगा, लेकिन आज तक उसका पता नहीं चला है. 

‘आपका बेटा मिसिंग है’
मुबारकपुर थाना के सठियांव से रूस गए हुमेश्वर के पिता इंदु प्रकाश ने कहा कि उनके घर में सब परेशान हैं. हमारा रिश्तेदार एजेंट विनोद यादव बेटे को सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी बताकर ले गया. उन्होंने बताया कि मार्च 2024 तक बेटे से बात हुई, इसके बाद आज तक कोई बात नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि सिक्योरिटी गार्ड की जॉब के लिए ले जाया गया फिर एग्रीमेंट पर साइन कराकर आर्मी में डाल दिया.

इंदु प्रकाश ने बताया कि उनके बेटे हुमेश्वर को आर्मी में 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई. यह बताते हुए इंदु प्रकाश भावुक हो गए. उन्होंने बताया कि एंबेसी में बात करने पर बताया जाता है कि वह मिसिंग हैं. हमें बात समझ में नहीं आ रही है कि मिसिंग का मतलब क्या है? सरकार से गुहार लगाई कि बेटे को जल्द से जल्द वापस बुलाया जाए.

आरोपी एजेंटों पर हो एक्शन
रौनापार थाना क्षेत्र के हरैया निवासी पवन ने बताया कि उनके भाई दीपक भी एजेंट के माध्यम से रूस गए हैं. उन्होंने बताया कि सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के नाम पर आर्मी में भर्ती करवा दिया गया. पवन ने बताया कि भाई से अंतिम बार 6 जुलाई 2024 को बात हुई थी, इसके बाद से आज तक कोई बात नहीं हुई और उनका कोई अपडेट नहीं मिल पा रहा है.

पवन ने बताया कि एंबेसी से उनके भाई दीपक के बारे में बताया जा रहा है कि वह मिसिंग हैं. उन्होंने सरकार से मांग किया कि जितने लोग रूस में फंसे हैं सबको वापस बुलाया जाए और दिल्ली के एजेंट सुमित दुष्यंत सहित अन्य एजेंटों पर कड़ी कार्रवाई की जाए.

कन्हैया यादव की रुस में मौत
रौनापार थाना क्षेत्र के ही बनकटा बाजार गोसाई निवासी कन्हैया यादव भी कुक की नौकरी के लिए रूस गए थे, वहां उनको रशियन आर्मी में भर्ती कराकर युद्ध के लिए भेज दिया गया. युद्ध के दौरान वह बुरी तरह से जख्मी हो गए. कन्हैया के पुत्र अजय यादव ने बताया कि 25 मई 2024 को पिता से उनकी अंतिम बार बात हुई.

अजय ने उनके पिता ने आखिरी बार हुई बातचीत में बताया था कि वह बुरी तरह से जख्मी हैं और उनका इलाज चल रहा है. इसके बाद उनकी बात नहीं हुई. उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर 2024 को एंबेसी से जानकारी मिली कि उनके पिता की मौत हो गई है. उनका पार्थिव शरीर आजमगढ़ लाया गया, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है. 

हथियार चलाने की दी गई ट्रेनिंग
रूस- यूक्रेन युद्ध में रूस की तरफ से राकेश यादव को भी धोखे से भेजकर आर्मी में भेज दिया गया. वह आजमगढ़ जिले के सराय थाना क्षेत्र के भीमसेनपुर गांव के रहने वाले हैं. राकेश यादव ने बताया कि वह जनवरी 2024 में रुस गए थे, जहां एजेंट ने बताया था कि गार्ड की नौकर करनी होगी दो लाख रुपये महीने सैलरी मिलेगी. राकेश ने बताया कि एजेंट दुष्यंत और सुमित के कहने पर विनोद यादव उन्हें लेकर गए थे, वर्तमान में विनोद युद्ध में इस समय रशिया में फंसे हुए हैं. 

राकेश यादव ने कहा कि हम लोग जब रशिया पहुंचें तो रशियन भाषा में एक एग्रीमेंट पेपर पर हम लोगों से साइन कराया गया. इसके बाद युद्ध की ट्रेनिंग दी गई. हम लोगों ने पूछा तो बताया गया कि जिस काम के लिए आए हो एग्रीमेंट पेपर में वही लिखा हुआ है.

राकेश यादव के मुताबिक, हम लोगों को 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई, जिसमें रॉकेट चलाना, बम गोला फेंकने समेत कई हथियारों की ट्रेनिंग दी गई. जब हम लोगों ने विरोध किया तो बताया गया कि यह बचाव के लिए आप लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है. राकेश यादव ने बताया कि हम लोग पहले ग्रुप में 6 लोग और दूसरे ग्रुप में 7 लोग गए थे, सभी लोग आजमगढ़ और मऊ के रहने वाले हैं.

‘देश के सैकड़ों लोग हैं रुस में’ 
रुस यूक्रेन युद्ध में आजमगढ़ के कन्हैया यादव, मऊ के सुनील यादव और श्यामसुंदर यादव की मौत हो चुकी है. राकेश यादव ने बताया कि युद्ध के दौरान उन्हें चोट लगी थी, घायल होने के बाद हमें अस्पताल भेज दिया गया. उन्होंने बताया कि हमें अलग-अलग सात अस्पतालों में ट्रांसफर किया गया. वहां हमें पता चला कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी मास्को आए हुए हैं, उन्होंने कहा है कि जितने भारतीय हैं उनको वापस भेजा जाए.

राकेश यादव ने आगे बताया कि इस बीच पंजाब निवासी एक व्यक्ति से मेरा संपर्क हुआ था. इसके बाद अक्टूबर 2024 में हम भारत लौट आए. उन्होंने बताया कि अभी भी उनके साथ गए आठ लोग मिसिंग हैं. एंबेसी सिर्फ दिलासा दिला रही है. आजमगढ़ मऊ के साथ ही पंजाब और देश के कई अन्य राज्यों के लोग भी सैकड़ों की संख्या में रूस गए हैं.

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