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Parliament Winter Session 2024: शीतकालीन सत्र की शुरुआत 25 नवंबर को हुई, लेकिन पहला सत्र हंगामे और आरोप-प्रत्यारोप से भरपूर रहा. एनडीए और कांग्रेस के बीच कारोबारी गौतम अडानी और अरबपति जॉर्ज सोरोस को लेकर काफी बहसें हुई. इस सत्र में 5 घंटे 37 मिनट का व्यवधान हुआ, लेकिन इसके बावजूद सांसदों ने 34.16 घंटे की बहस की.

दूसरा सत्र अपेक्षाकृत ज्यादा उत्पादक रहा जिसमें बहस का समय बढ़कर 115.21 घंटे हो गया. हालांकि ये सत्र भी पूरी तरह व्यवधान-मुक्त नहीं था और इसमें 1 घंटे 53 मिनट का नुकसान हुआ. इस सत्र के दौरान सरकार ने 12 विधेयक पेश किए जिनमें से 4 विधेयकों को लोकसभा से पारित किया गया. सांसदों ने 33 घंटे ज्यादा काम किया जिससे लंबित एजेंडों पर काफी प्रगति हुई.

तीसरे सत्र में बिगड़ी स्थिति 

19 दिसंबर को हुई झड़प के बाद तीसरे सत्र में स्थिति और बिगड़ गई. इस सत्र में 65 घंटे 15 मिनट का समय हंगामे की भेंट चढ़ गया. बहस का समय घटकर मात्र 62 घंटे रह गया. इसके बावजूद सांसदों ने 21.7 घंटे अतिरिक्त काम किया और पांच विधेयक पेश किए जिनमें से चार पारित हुए.

तीसरे सत्र में प्रस्तुत विधेयकों में तटीय शिपिंग विधेयक, 2024, मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024, संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024, केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 और आवंटन (नं. 3) विधेयक, 2024 शामिल हैं. इनमें से रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 और आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 को भी पारित किया गया.

नियम 377 के तहत उठे मुद्दे

तीसरे सत्र में नियम 377 के तहत 397 मुद्दे उठाए गए जो दूसरे सत्र में 358 और पहले सत्र में 41 थे. इस नियम के तहत सांसद स्पीकर की अनुमति से ऐसे मुद्दे उठा सकते हैं जो सदन के सामान्य काम में नहीं आते.

सत्र का समापन साइन डाई घोषित कर दिया गया जिसमें कुल 70 घंटे का व्यवधान हुआ. इसके बावजूद सांसदों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए लंबित कामों को निपटाने की कोशिश की. शीतकालीन सत्र ने संसद की कार्यवाही की जटिलताओं और सांसदों की प्रतिबद्धता दोनों को उजागर किया.

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