Supreme Court says free grain is not a permanent solution need to focus on job creation for migrant workers ann
Migrant Workers: सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को मुफ्त में अनाज दिए जाने पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि कोविड के बाद से लोगों को अगर रोजगार का नुकसान हुआ है, तो इसे हल करने की कोशिश होनी चाहिए. लंबे समय तक मुफ्त में अनाज देना इसका समाधान नहीं हो सकता. कोर्ट ने यह टिप्पणी तब कि जब याचिकाकर्ता ने मुफ्त और सब्सिडी वाले अनाज का दायरा बढ़ाने की मांग की और केंद्र ने जवाब में 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की जानकारी दी.
कोविड महामारी में प्रवासी मजदूरों के लिए SC की महत्वपूर्ण पहल
कोविड महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की दशा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एक केस शुरू किया था. 2021 में कोर्ट ने मजदूरों की पहचान कर उन्हें ई-श्रम पोर्टल से जोड़ने के लिए कहा था. कोर्ट ने मजदूरों को भोजन उपलब्ध करवाने के लिए भी कहा था. इस मामले का अभी कोर्ट ने निपटारा नहीं किया है. समय-समय पर इसकी सुनवाई होती रहती है.
सोमवार (9 दिसंबर) को जस्टिस सूर्य कांत और मनमोहन की बेंच ने मामले को सुना. इस दौरान एक एनजीओ के लिए पेश वकील प्रशांत भूषण ने सरकारी सहायता का दायरा बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि जरूरतमन्दों को राशन कार्ड जारी होना चाहिए. अगर जनसंख्या का सही आंकड़ा सामने आएगा तो पता चलेगा कि बहुत बड़ी आबादी सरकारी मदद से वंचित है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की कड़ी प्रतिक्रिया
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस तरह के याचिकाकर्ता सिर्फ कुर्सी पर बैठे रहने वाले बुद्धिजीवी हैं. यह वास्तव में गरीबों की कोई मदद नहीं करते. कोविड के समय जब सरकार जरूरतमंदों की मदद कर रही थी, तब इनका काम सिर्फ याचिकाएं दाखिल करना था. भूषण ने मेहता की टिप्पणी का कड़ा विरोध किया. इस बीच एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जानकारी दी कि सिर्फ प्रवासी मजदूर ही नहीं, केंद्र सरकार की योजना का लाभ बहुत बड़ी आबादी को मिल रहा है. 81 करोड़ से अधिक लोग मुफ्त अनाज के लाभार्थी हैं.
इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा, “लेकिन यह मुफ्त की चीजें कब तक दी जा सकती हैं. हमें स्थायी समाधान की ओर सोचने की जरूरत है. अभी तो ऐसा लग रहा है जैसे सिर्फ टैक्स चुकाने वाले लोग ही मुफ्त अनाज नहीं ले रहे हैं. समस्या यह है कि अगर हम राज्यों पर ज्यादा राशन कार्ड जारी करने का दबाव बनाएंगे, तो उसका बोझ आखिर केंद्र सरकार पर ही पड़ेगा.” कोर्ट ने कहा कि वह 8 जनवरी को मामले पर आगे सुनवाई करेगा.