Fashion

Poet Kumar Vishwas Tweets On Muharram Know What Did He Write


Delhi News: मुहर्रम के अवसर पर देशभर के शिया मुसलमानों ने जगह-जगह ताजिया जुलूस निकाला और हजरत इमाम हुसैन (Imam Hussain) के बलिदान को याद किया. इस अवसर कवि डॉ. कुमार विश्वास (Kumar Vishwar) ने भी ट्वीट किया है, मुहर्रम के अवसर पर उन्होंने अपने अंदाज में दो पंक्तियां लिखकर हुसैन साहब को याद किया. कुमार विश्वास ने लिखा, ‘जालिम का नाम मिट गया तारीख से मगर, वो याद रह गए जिन्हें पानी नहीं मिला.”

बता दें कि इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे. जिसके बाद से इस दिन शिया समुदाय द्वारा मुहर्रम मनाया जाता है और जगह-जगह ताजिया जुलूस निकाले जाते हैं. दरअसल, यह ताजिया मुहर्रम की दसवीं तारीख यौम-ए-आशूरा के दिन निकाले जाते हैं. शिया समुदाय के लोग मुहर्रम के पूरे महीने मातम मनाते हैं और काले कपड़े पहनते हैं.

34 साल बाद घाटी में मुहर्रम पर जुलूस
उल्लेखनीय है कि 34 साल के बाद कश्मीर घाटी में बिना किसी प्रतिबंध के मुहर्रम का जुलूस निकाला गया जिसमें हिस्सा लेने के लिए खुद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी पहुंचे. वह श्रीनगर के बुट्टा कदल में शिया समुदाय के बीच पहुंचे. इस जुलूस से जुड़ी तस्वीर भी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शेयर करते हुए ट्वीट किया था, ”मैं कर्बला के शहीदों को नमन करता हूं और हजरत इमाम हुसैन के बलिदान और उनके आदर्शों को याद करता हूं. कश्मीर घाटी में शिया बंधुओं के लिए आज ऐतिहासिक अवसर है जब 34 साल बाद पारंपरिक मार्ग गुरु बाजार से डल गेट तक मुहर्रम का जुलूस निकाला जा रहा है.”

1989 के बाद नहीं निकला था जुलूस
दरअसल, कश्मीर घाटी में 1989 के बाद जब हालात बिगड़े तो ताजिया जुलूस निकालने पर रोक लगा दी गई. जबकि 34 साल बाद पारंपरिक मार्ग से जुलूस निकालने देने की अनुमति मिलने पर शिया समुदाय ने एलजी मनोज सिन्हा के प्रति आभार जताया. साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी इस फैसले का स्वागत किया. 

ये भी पढ़ें- Manipur Violence: रामदास अठावले के बयान पर बिफरे संजय सिंह, कहा- ‘क्या अब भी कुछ नहीं बोलेंगे पीएम मोदी’



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *