Shivraj Singh Chauhan tells story behind Calling him Mama Madhya Pradesh
Shivraj Singh Chouhan: केंद्रीय कृषि मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने अपने उपनाम “मामा” को लेकर बड़ा खुलासा किया. उन्होंने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा है “मैं मंत्री नहीं, मामा हूं.” शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश में बेटियों ने मुझे मामा कहा और यह रिश्ता पूरे प्रदेश में प्रेम और विश्वास का प्रतीक बन गया. बेटियों के पैर धोकर कार्यक्रम शुरू करने की परंपरा को उन्होंने महिलाओं के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया.
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्या विवाह योजना, और स्कूल शिक्षा को बढ़ावा देने जैसी पहलों के जरिए बेटियों और महिलाओं के प्रति विशेष रूप से काम किया. इन योजनाओं ने उन्हें “मामा” के रूप में देशभर में लोकप्रिय बना दिया.उनके द्वारा बेटियों के लिए किए गए कार्यों ने उन्हें हर घर का हिस्सा बना दिया. शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि जनता की सेवा करने का सबसे प्रभावी तरीका है कि उन्हें परिवार के सदस्य की तरह समझा जाए.
मामा के तौर पर उनकी प्रमुख योजनाएं
लाड़ली लक्ष्मी योजना, जिसमें बेटियों के जन्म और उनकी शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दिया जाता है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, जिसमें गरीब परिवारों को उनकी बेटियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता मिलती है. स्कूलों में छात्राओं के लिए मुफ्त साइकल, किताबें, और छात्रवृत्ति योजनाएं.
‘बूढ़े भी कहने लगे मामा’
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि लाड़ली लक्ष्मी से लेकर लाड़ली बहनों-बेटियों ने मुझे मामा कहना शुरू किया तो धीरे-धीरे बेटों ने भी शुरू किया. बाद में बूढ़े भी मामा कहने लगे, लेकिन वहां से लेकर लाडली बहन तक का सफर यह स्नेह और प्रेम का सफर था. मैं मध्य प्रदेश में किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत करता था तो बेटियों के पैर धोकर और उनकी पूजा करके करता था.क्योंकि उनके इज्जत के बिना यह धरती नहीं चल सकती. जब मुख्यमंत्री का दायित्व था तो उसको निभाना की कोशिश की और आज जब कृषि मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व है तो मैं उसमें डूब गया हूं.