Ajit Pawar NCP Eknath Shinde Shiv Sena Waiting Signal From BJP Amit Shah Big Updates About Maharashtra Politics Mahayuti
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में सीएम कौन होगा, डिप्टी सीएम कौन होगा, ये वो सवाल हैं जिनके जवाब 5 दिसंबर को साफ हो जाएंगे. लेकिन सवाल ये है कि आखिर प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी सरकार में देरी क्यों हुई. अभी तक महाराष्ट्र से जो खबरें छन कर आई हैं उसके मुताबिक, मंत्रालयों के बंटवारे और भागीदारी को लेकर पेंच फंसा हुआ दिख रहा है.
- सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे शिवसेना के लिए गृह मंत्रालय चाहते हैं. लेकिन बीजेपी छोड़ने को तैयार नहीं है. वो अपने लिए बीजेपी की तरफ से सकारात्मक सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में हुई महायुति की बैठक में अमित शाह ने मंत्रिमंडल में शामिल होने के इच्छुक विधायकों का रिपोर्ट कार्ड मांगा है.
- इस बीच अजित पवार दिल्ली पहुंच गए हैं. वो सोमवार की रात दिल्ली में ही रुकेंगे और पार्टी के नेताओं से मिलेंगे. सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हो सकती है.
- महायुति की मुंबई में होने वाली बैठक नहीं हो सकी. एकनाथ शिंदे की तबीयत ठीक नहीं है. डॉक्टर्स ने आराम करने को कहा है.
- अजित पवार का डिप्टी सीएम बनना तय माना जा रहा है. शिंदे डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं ये अभी तक साफ नहीं है. उनके बेटे श्रीकांत शिंदे के नाम की चर्चा हुई लेकिन उन्होंने कहा कि वो राज्य में मंत्री बनने की रेस में कहीं नहीं हैं.
- बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व सीएम विजय रुपाणी को पर्यवेक्षक नियुक्ति किया है. 4 दिसंबर को बीजेपी के विधायक दल की बैठक होगी और नेता चुना जाएगा.
- बीजेपी विधायक दल की बैठक में जिस नेता का चुनाव होगा उसी के नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा.
- शिवसेना ने एक बार फिर साफ किया कि महायुति में कोई खटपट नहीं है.
- महाराष्ट्र में एनडीए का हिस्सा रामदास अठावले ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने कोई कमिटमेंट नहीं किया था. उन्हें महायुति के संयोजक का पद मिल सकता है.
- शिंदे गुट के नेता दीपक केसरकर ने यहां तक दावा कर दिया कि कुछ विपक्ष के जीते हुए विधायक हमारे साथ आना चाहते हैं.
- उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार बीजेपी के दोस्त नहीं बल्कि उनके ‘गुलाम’ हैं. गुलामों को समझौता करना पड़ता है.
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