Supreme Court seeks election commission explanation on increasing voters number per polling booth
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 दिसंबर, 2024) को निर्वाचन आयोग से उस जनहित याचिका पर जवाब मांगा जिसमें हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने के उसके फैसले को चुनौती दी गई है. कोर्ट ने कहा कि वह इसे लेकर चिंतित है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने निर्वाचन आयोग की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह को इस निर्णय के तर्क को स्पष्ट करते हुए एक संक्षिप्त हलफनामा दायर करने को कहा. बेंच ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा है कि वे एक संक्षिप्त हलफनामे के जरिए स्थिति स्पष्ट करेंगे. हलफनामा तीन सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए.’
पीठ ने कहा कि वह चिंतित है और किसी भी मतदाता को इससे वंचित नहीं रखा जाना चाहिए. निर्वाचन आयोग ने कहा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में मतदाताओं की कुल संख्या बढ़ाते समय राजनीतिक दलों से परामर्श किया जाता है.
मनिंदर सिंह ने कहा कि मतदाताओं को निर्धारित समय के बाद भी वोट डालने की अनुमति दी जाती है. बेंच ने अब जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए इसे 27 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध किया है और निर्वाचन आयोग को सुनवाई की अगली तारीख से पहले याचिकाकर्ता को अपने हलफनामे की एक प्रति उपलब्ध कराने को कहा है.
इंदु प्रकाश सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका में अगस्त में निर्वाचन आयोग की ओर से जारी दो विज्ञप्ति को चुनौती दी गई है, जिसमें भारत भर में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है. मनिंदर सिंह ने तर्क दिया है कि प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का निर्णय मनमाना है और यह किसी भी डाटा पर आधारित नहीं है.