UP Electricity Employees Protest on privatization Awadhesh Verma met Deputy CM Brajesh Pathak ann
UP News: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम को प्राइवेट घरानों को देने का विरोध जारी है. इसी कड़ी में आज उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने की डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से मुलाकात की. इस दौरान वह सत्ता पक्ष और विपक्ष बड़े नेताओं के पास जाकर प्राइवेटाइजेशन से होने वाले नुकसान के बारे में बता समर्थन मांग रहे हैं. कर्मचारियों ने मांग नहीं मानने पर चार दिसंबर से काशी में बड़े स्तर पर जन पंचायत का ऐलान किया है.
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात के बाद अवधेश वर्मा ने बताया कि डिप्टी सीएम को अवगत कराया है कि जिन दो डिसकॉम को पांच हिस्सों में बांटने की योजना है, उससे उपभोक्ताओं का नुकसान होगा और टैरिफ बढ़ रेट जाएगा. अवधेश वर्मा के मुताबिक, इससे सबसे बड़ा नुकसान दलित और पिछड़े वर्ग के जो कार्मिक हैं, उनका होगा.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि डिस्काम के बंटवारे से आरक्षण का नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इस फैसले से दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों में काफी नाराजगी है. अवधेश वर्मा ने ब्रजेश पाठक से इस बात को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अवगत कराने और कैबिनेट में भी यह मुद्दा उठाने की मांग की है.
योगी सरकार पर लगाए ये आरोप
अवधेश वर्मा ने कहा, “पावर कार्पोरेशन यह जो कार्रवाई कर रहा यह पूरी तरीके से असंवैधानिक है, इसमें सुधार की गुंजाइश है. जब 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये उपभोक्ताओं का बिल बाकी है और विभाग का घाटा एक लाख करोड़ है, तो बिल वसूलने पर फायदे में पहुंच जाएंगे. हालांकि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही.”
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा, “RDSS योजना में 44000 करोड़ केंद्र सरकार दे रही है, लेकिन क्या ये खर्च कर अडानी अंबानी जैसे प्राइवेट घरानों को बेचना उचित होगा? इस पर पुनर्विचार करने को की आवश्यकता है. जिससे प्रदेश की जनता पर भी कोई भार ना आए.”
‘चेयरमैन नहीं दे पाएंगे जवाब’
सरकार के इस फैसले से बिजली विभाग के 27000 हजार कर्मचारियों को अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है, हालांकि इसको लेकर विद्युत विभाग के जरिये लगातार आश्वासन दिया जा रहा है. इस मुद्दे पर अवधेश शर्मा ने कहा कि जहां तक प्रबंधन यह बात कर रहा है , तो हमें लगता है कि शायद उसे जानकरी न हो. आगरा के टोरेंट पावर में एक भी बिजली कार्मिक काम नहीं कर रहा है
अवधेश शर्मा ने दावा किया कि एनटीपीसी टांडा और ऊंचाहार में काम कर रही है. वहां भी प्राइवेट लोग काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जो होगा, पावर कार्पोरेशन के चेयरमैन उसका जवाब नहीं दे पाएंगे. निजी घराने जब आएंगे वह क्या प्रबंधन करते हैं यह देखना होगा?
51% हिस्सेदारी पर क्या कहा?
एक तरफ सरकार ने कह रही है कि इसमें निजी घरानों की 51 फीसदी हिस्सेदारी होगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि जिसका भी 51 फीसदी शेयर है वो कंपनी उसी के हिसाब से चलेगी. इस को लेकर अवधेश शर्मा ने सवाल किया ऐसे में अगर निजी घरानों को दे दिया जाएगा, तो वह कंपनियां अपने मुताबिक ही काम करेंगी.
अवधेश शर्मा ने कहा, “विभाग में निजीकरण का कानून लागू होगा, इसलिए हम लोगों को आरक्षण की चिंता है. हमें पदोन्नति में आरक्षण की चिंता है. आने वाले समय में दलित और बैकवर्ड का जो हक मारे जाएंगे, उसकी हमें चिंता है और जो वे लोग कह रहे हैं. वह पूरी तरीके से बेबुनियाद बातें हैं.”
‘सत्तारूढ़-विपक्ष के नेताओं से मिलेंगे’
अवधेश वर्मा ने कहा कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के यहां आए हैं, इसके बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के यहां जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा वह सत्ता पक्ष के कई और नेताओं से मिलेंगे, इसके बाद विपक्ष के नेताओं से भी समर्थन मांगेंगे. हम लोग सभी को बताएंगे कि इससे प्रदेश की जनता के साथ अन्याय हो रहा है. दलित और पिछड़ों के साथ अन्य हो रहा है और इसलिए निजीकरण को रोके और हमें न्याय दें.
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि प्रबंधन अडानी अंबानी को देना चाहता है. उन्हें लगता है कि ऐसा करने से वह फायदे में आ जाएंगे. उन्होंने सवाल किया कि अगर नोएडा में टोरेंट पावर को देने से फायदा हुआ है तो श्वेत पत्र क्यों नहीं जारी कर रहे हैं. अवधेश शर्मा ने कहा कि तत्कालीन ऊर्जा मंत्री ने 2020 में जांच कराई तब पता चला कि टोरेंट पॉवर आज भी 2000 करोड़ रुपये दबाकर बैठा है और पावर कार्पोरेशन को वापस नहीं किए.
‘फ्लाप मॉडल को आगे बढ़ा रही सरकार’
अवधेश शर्मा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उड़ीसा मॉडल लागू होने की बात कही जा रही है, लेकिन उड़ीसा मॉडल फेल फ्लाप है. सपा सरकार ने 2013 में पीपीपी मॉडल लागू करने की बात कही थी, तब नियामक आयोग ने उसको रोक दिया था. उन्होंने कहा कि सपा सरकार के फेल मॉडल को लागू करने के लिए योगी सरकार आगे बढ़ रही है. इसका मतलब है कि आप कहीं ना कहीं दिग्भर्मित हैं और इसीलिए ऐसा कर रहे हैं.
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