क्या संभल की घटना प्लान्ड थी? जांच के लिए न्यायिक आयोग हिंसा प्रभावित इलाकों का करेगा दौरा
उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद सर्वे के बाद हुई हिंसा की घटना की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग सोमवार को संभल पहुंचेगा. कमिश्नर आंजनेय सिंह के साथ इसे लेकर पहले बैठक होगी. आयोग के अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा हैं. रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद और रिटायर्ड आईपीएस ए के जैन आयोग के सदस्य हैं. दो महीने में आयोग को रिपोर्ट देनी है.
न्यायिक जांच आयोग चार बिंदुओं पर संभल मामले की जांच करेगा
- हिंसा अचानक हुई या सुनियोजित थी?
- पुलिस प्रशासन ने कानून-व्यवस्था के लिए क्या प्रबंध किए थे?
- किन कारणों, हालातों में संभल में हिंसा घटित हुई?
- ऐसी घटनाएं रोकने के लिए भविष्य में क्या इंतजाम किए जाए?
घटना को लेकर अखिलेश यादव ने उठाया था सवाल
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बीते दिनों संभल में हुई हिंसा को लेकर एनडीटीवी से खास बातचीत की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि संभल में जो कुछ हुआ है उसके लिए पहले राज्य सरकार और उसके बाद स्थानीय प्रशासन सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. संभल में जो हुआ वो पहले से ही प्लान्ड मालूम पड़ता है. मैं साफ तौर पर कहता हूं कि जो प्रशासन के अधिकारी हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था
संभल के संवेदनशील स्थानों पर पुलिस द्वारा हर आने-जाने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है. किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि देखे जाने पर पुलिस फौरन कार्रवाई कर रही है. शासन की तरफ से स्पष्ट निर्देश है कि अगर कहीं भी किसी भी प्रकार की संदिग्ध स्थिति देखने को मिले, तो फौरन कार्रवाई की जाए.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अदालत में दिया जवाब
इधर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने यहां शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाली अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया है, जिसमें एएसआई ने मुगलकालीन मस्जिद को संरक्षित विरासत संरचना बताते हुए उसका नियंत्रण व प्रबंधन सौंपने का अनुरोध किया है. एएसआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शर्मा ने रविवार को बताया कि शुक्रवार को एएसआई ने अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया है कि स्थल का सर्वेक्षण करने में उसे मस्जिद की प्रबंधन समिति और स्थानीय निवासियों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था.
उन्होंने बताया कि जवाब में 19 जनवरी 2018 की एक घटना का भी जिक्र किया गया है जब मस्जिद की सीढ़ियों पर मनमाने तरीके से स्टील की रेलिंग लगाने के लिए मस्जिद की प्रबंधन समिति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.
शर्मा ने कहा कि साल 1920 से एएसआई के संरक्षित स्थल के रूप में अधिसूचित शाही जामा मस्जिद एएसआई के अधिकार क्षेत्र में है इसलिए एएसआई के नियमों का पालन करते हुए लोगों को मस्जिद में दाखिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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