Maharashtra Assembly Election Results 2024 How Maharashtra results will shape tomorrow’s national politics BJP Mahyuti Congress MVA
Maharashtra Assembly Election Result 2024 Latest News: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक ऐसी राजनीतिक हवा चलाई है जो सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं रहेगी, आने वाले समय में यह हवा दूसरे राज्यों के चुनावों में भी दिख सकती है. राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि आने वाले समय में यह नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं.
दरअसल, 288 सीटों में से महायुति गठबंधन ने 229 पर जीत दर्ज की है, जबकि एमवीए सिर्फ़ 47 पर सिमटकर रह गई है. भाजपा ने 149 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसे 132 पर जीत मिली है, यह स्ट्राइक रेट 89% का है और विरोधियों को चित करने वाला है. इन नतीजों की 6 बड़ी बातें यहां हम आपको बता रेह हैं.
1. सुधारों का की रूपरेखा तय होगी, इसमें वक्फ बिल भी शामिल
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास बनाया था. हालांकि उसकी सीटें जरूर कम हुई थी. भाजपा अभी एनडीए सहयोगियों की मदद से सरकार चला रही है. हालांकि, जानकार बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुधार के मोर्चे पर किसी भी तरह की कमजोरी नहीं दिखाई है और आयुष्मान भारत चिकित्सा बीमा कवर को बढ़ाया है. इसके अलावा संयुक्त पेंशन योजना शुरू की है.
सरकार ने साहसिक वक्फ बिल भी पेश किया, जिसका मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया है. वक्फ बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया, जो अब अपनी रिपोर्ट के साथ तैयार है. हरियाणा में ऐतिहासिक जीत के तुरंत बाद महाराष्ट्र में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से केंद्र सरकार का आत्मविश्वास बढ़ेगा. मोदी सरकार अब वक्फ विधेयक पर पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगी, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में सुधार करना है। इससे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को आगे बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के रूप में पुनः ब्रांड किया है. वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट पर बहस शीतकालीन सत्र में ही हो सकती है.
2. हिंदू एकजुटता का नया फॉर्मूला
लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर मिली. एक तरफ मुस्लिम वोट विपक्षी दलों को मिले तो वहीं जाति जनगणना के इर्द-गिर्द कांग्रेस के अभियान ने भाजपा के वोटों में सेंध लगाई. 2014 और 2019 के आम चुनावों में भाजपा सभी जातियों और समुदायों से वोट पाने में सफल रही, जो 2024 में नहीं हुआ. इस चुनाव में बीजेपी ने “बटेंगे तो कटेंगे” और “एक हैं तो सेफ हैं” जैसे नारों के सहारे हिंदुओं को एकजुट कर अपने खेमे में किया. इसके अलावा आरएसएस ने जाति के आधार पर हिंदू वोटों के विभाजन को रोकने के लिए अपने ‘सजग रहो’ (सतर्क रहो) अभियान के लिए 65 संगठनों को शामिल किया. इस प्रकार, महाराष्ट्र हिंदुत्व 2.0 की प्रयोगशाला बन गया है और यहां वोटों को एकजुट करने में आरएसएस-भाजपा की सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर दोहराया जाएगा.
3. कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले में भाजपा काफी आगे
महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार यह भी दर्शाती है कि भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में वह कैसे हार जाती है. महाराष्ट्र की 76 सीटों के नतीजे, जहां दोनों के बीच सीधी टक्कर थी, सबसे ज्यादा उत्सुकता से देखे गए. इनमें से 36 विदर्भ में थीं, एक ऐसा क्षेत्र जहां भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने जीत दर्ज की है. भाजपा का उत्थान और कांग्रेस का पतन सीधे मुकाबलों में पार्टियों के प्रदर्शन से स्पष्ट है, जो पार्टी की संगठनात्मक ताकत और लोकप्रियता को दर्शाता है. भाजपा के साथ सीधे मुक़ाबले में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 2019 के लोकसभा चुनाव में 8% से बढ़कर 2024 में 30% हो गया था, जबकि भाजपा का स्ट्राइक रेट 92% से गिरकर 70% हो गया था. हालांकि, अक्टूबर में हरियाणा में कहानी उलट गई, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुक़ाबला था. यहां कांग्रेस भाजपा को लगातार तीसरी बार सरकार बनाने से रोकने में विफल रही. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे इस धारणा को पुख्ता करते हैं कि सीधे मुक़ाबले की बात करें तो भाजपा कांग्रेस से काफ़ी आगे है.
4. कांग्रेस ने सहयोगियों से बातचीत में ताकत खो दी
हरियाणा में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन में कांग्रेस पर उसके सहयोगियों ने ही कई हमले किए थे. महाराष्ट्र चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद, एक बार फिर उसके गठबंधन सहयोगी ही उस पर हमला कर सकते हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट करीब 19% रहा, जो कि बहुत ही खराब है. हरियाणा में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी को अपने साथ नहीं लिया था. इसे लेकर बाद में सवाल भी उठे. शिवसेना उद्धव गुट के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में हरियाणा में कांग्रेस की हार के लिए पार्टी के “राज्य नेतृत्व के अति आत्मविश्वास और अहंकार” को जिम्मेदार ठहराया गया था. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस ने बड़ा भागीदार बनने की कोशिश की और उद्धव ठाकरे को सीएम चेहरे के रूप में पेश नहीं होने दिया.
5. लोकलुभावन योजनाओं और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने का मिश्रण
महाराष्ट्र में बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी दांव पर लगी थीं. कांग्रेस के नेतृत्व वाली एमवीए जहां कैश सहायता का वादा करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही थी तो महायुति ने लड़की बहन योजना जैसी नकद गारंटी योजना का वादा किया. एक्सपर्ट बताते हैं कि महायुति ने इस चुनाव में बुनियादी ढांचे के विकास का सही मिश्रण करके काफी हद तक विरोधियों को मात दी है. महायुति के सत्ता में वापस आने के बाद मुंबई की सड़कों के कंक्रीटीकरण, महालक्ष्मी रेस कोर्स में खुले पार्क और गरगई पिंजल जल परियोजनाओं को आगे बढ़ाने जैसे ऐलान किए. लोगों के मन में ये भी था कि अगर एमवीए आएगी तो वह धारावी पुनर्विकास परियोजना में बाधा उत्पन्न कर सकती है.
6. अडानी मुद्दा और शीतकालीन सत्र में आतिशबाजी
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक गर्म शीतकालीन सत्र का वादा किया है, जो सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होने वाला है. राहुल गांधी ने कथित रिश्वत मामले में अमेरिका में अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी पर अभियोग लगाए जाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की योजना बनाई है. हालांकि कुछ जानकार बताते हैं कि महाराष्ट्र में कांग्रेस को मिली हार के बाद, जहां उसे सिर्फ 18 सीटें मिलीं, पार्टी के नेताओं के कॉन्फिडेंस में कमी जरूर लाएगा. दरअसल, महाराष्ट्र में हर चुनावी रैली में कांग्रेस नेता मोदी सरकार पर अडानी समूह से संबंध के मुद्दे उठाते रहे, लेकिन नतीजों ने साफ कर दिया है कि ऐसे आरोपों का चुनावी असर नहीं होता.
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