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What is Article 142 by using the Supreme Court put a brake on bulldozer action


What Is Article 142: बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर) को अहम फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि कोई भी सरकार अपने मन मुताबिक बुलडोजर कार्रवाई नहीं कर सकती. कार्रवाई से पहले नोटिस देकर बताना होगा कि जिस प्रॉपर्टी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है वो क्यों और कैसे अवैध है. साथ ही कार्रवाई की जानकारी जिला प्रशासन को भी दी जाए.

इतना ही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर गलत कार्रवाई करके घर या बिल्डिंग को तोड़ा गया है तो उसका मुआवजा भी दिया जाए और सरकारी अधिकारी पर कार्रवाई की जा सकती है. अदालत ने कहा कि किसी के घर को सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ा जा सकता कि वो आपराधिक मामले में संलिप्त है या आरोपी है या फिर दोषी है. कानून को न मानकर किया गया बुलडोजर एक्शन असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और वैधानिक अधिकारों को साकार करने के लिए कार्यपालिका को निर्देश जारी किए जा सकते हैं.

आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 कोर्ट को विवेकाधीन शक्ति देता है. दरअसल, जिन मामलों में अब तक कानून नहीं बन पाया है, उन मामलों में न्याय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. सिर्फ बुलडोजर एक्शन को लेकर ही नहीं बल्कि इससे पहले तलाक के कुछ खास मामलों में भी कोर्ट ने आर्टिकल 142 को आधार बनाते हुए अपना फैसला सुनाया था.

90 के दशक से अब तक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को आर्टिकल 142 ने खास ताकत दी. इसको आधार मानकर जब भी कोर्ट कोई फैसला सुनाता है तो इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि उस फैसले से किसी और को नुकसान न हो. आर्टिकल 142 सुप्रीम कोर्ट दो पक्षों के बीच पूर्ण न्याय करने की शक्ति देता है.

आर्टिकल 142 की हो चुकी है आलोचना

हालांकि इसकी कई बार आलोचना भी की जा चुकी है. तर्क दिया गया कि अदालत के पास व्यापक विवेकाधिकार है लेकिन न्याय को लेकर मनमाने ढंग से इसका दुरुपयोग हो सकता है. संविधान विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका उपयोग करते समय सुप्रीम कोर्ट कुछ जरूरी सिद्धातों का पालन करता है. इनमें न्यायिक संयम और सक्रियता प्रमुख हैं.    

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