UPPSC exam candidates protest commission said exma purity is our priority ann
UPPSC Exam: प्रयागराज में यूपीपीएससी अभ्यार्थियों के विरोध प्रदर्शन के बीच यूपी लोक सेवा आयोग की प्रतिक्रिया सामने आई है. आयोग ने परीक्षाओं में शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा को अपनी प्राथमिकता बताया है. परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन को लेकर हो रहे विरोध पर आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि परीक्षाओं की शुचिता एवं छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केन्द्रों पर कराई जा रही है, जहां किसी प्रकार की कोई गड़बड़ियों की संभावना नहीं है.
सोमवार को आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि पहले दूर-दराज के परीक्षा केन्द्रों में कई प्रकार की गड़बड़ियां संज्ञान में आयी हैं, जिससे योग्य छात्रों के भविष्य अनिश्चित्ता बन जाती है. इसे खत्म करने के लिए एवं संपूर्ण परीक्षा मेरिट के आधार पर संपन्न कराने के लिए इन केन्द्रों को हटाया गया है. परीक्षा निष्पक्ष तरीके से हो सके इसके लिए बस अड्डा/रेलवे स्टेशन/कोषागार के 10 किमी परिधि में राजकीय एवं वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थाओं जो पूर्व में संदिग्ध व विवादित या काली सूची में न हो, को ही परीक्षा केन्द्र बनाया जा रहा है.
निष्पक्ष परीक्षा कराने का आश्वासन
उन्होंने कहा कि परीक्षा की शुचिता एवं गुणधर्मिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि जहां 5 लाख से अधिक अभ्यर्थी हैं, वहां परीक्षा एक से अधिक पालियों में कराए जाने की व्यवस्था लागू की गई है. इसी के तहत, पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 07 और 08 दिसंबर को 02 दिवसों में और आरओ/एआरओ (प्रारंभिक) परीक्षा 2023 को 22 व 23 दिसंबर को तीन पालियों में कराए जाने का निर्णय लिया गया.
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि जहां किसी एक विज्ञापन के सापेक्ष एक से अधिक दिनों/पालियों में परीक्षायें आयोजित होती हैं, वहां परीक्षा के मूल्यांकन के लिए प्रसामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनायी जानी आवश्यक है, जैसा कि देश के विभिन्न प्रतिष्ठित भर्ती निकायों, आयोगों आदि में किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीट परीक्षा हेतु गठित राधाकृष्णन कमेटी द्वारा भी दो पालियों में परीक्षा कराने की मांग की गई है, वहीं, पुलिस भर्ती परीक्षा भी दो पालियों में कराई गई.
आयोग ने बताया कि परीक्षाओं के संबंध में अभ्यर्थियों ने पत्र भेजकर बताया है कि कुछ टेलीग्राम चैनलों एवं यू ट्यूबर्स द्वारा परीक्षा को टलवाने की साजिश की जा रही है. ये चैनल परीक्षा के प्रसामान्यीकरण को लेकर भ्रम फैला रहे हैं और उम्मीदवारों को गुमराह कर रहे हैं. अनेक अभ्यर्थी जिनके लिए यह परीक्षा और समय दोनों ही बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, आयोग के इस निर्णय का समर्थन करते हैं. सरकार एवं आयोग की मंशा छात्र हितों को सुरक्षित करना एवं मेरिट के आधार पर चयन सुनिश्चित करना है.
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