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Nana Patole Congress Letter To Election Commission Over DGP Sanjay Kumar Verma ANN


Nana Patole On DGP Sanjay Kumar Verma: महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) संजय कुमार वर्मा की सशर्त नियुक्ति के संबंध में तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है. इसमें नाना पटोले ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से संजय कुमार वर्मा को डीजीपी के पद पर सशर्त नियुक्त करने का कदम संवैधानिक प्रावधानों, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और स्थापित प्रशासनिक सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है. 

नाना पटोले ने कहा कि इसके कारण पुलिस महानिदेशक को चुनाव के दौरान तटस्थ और निष्पक्ष रूप से काम करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पटोले ने मांग की है कि चुनाव आयोग अपने अधिकारों का उपयोग करके संजय वर्मा की अस्थायी नियुक्ति के आदेश पर त्वरित निर्णय ले.

DGP को लेकर नाना पटोले का EC को पत्र

पत्र में आगे लिखा गया, ”चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत संवैधानिक अधिकार का उपयोग करते हुए 5 नवंबर 2024 को संजय कुमार वर्मा को महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त करने के स्पष्ट आदेश दिए हैं. यह नियुक्ति यह सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान पुलिस बल की निष्पक्ष और तटस्थ भूमिका रहे लेकिन चुनाव आयोग के इस निर्देश का उल्लंघन करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने संजय वर्मा की नियुक्ति को आचार संहिता तक सीमित करने का आदेश जारी किया.” 

शर्त लगाने से DGP का प्रदर्शन प्रभावित होता है- नाना पटोले

नाना पटोले ने लिखा, ”संजय वर्मा की सशर्त नियुक्ति से पुलिस बल के नेतृत्व और प्रशासनिक निरंतरता को खतरा है. अगर राज्य सरकार चुनाव के बाद रश्मि शुक्ला को फिर से डीजीपी नियुक्त करने का कोई इरादा रखती है, तो इससे कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. शर्त लगाने से डीजीपी का प्रदर्शन भी प्रभावित होता है.”

उन्होंने आगे कहा, ”चुनाव पूर्व पुलिस महानिदेशक और चुनाव के बाद पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति से प्रशासन, पदानुक्रम और शक्तियों के पृथक्करण के बुनियादी संवैधानिक सिद्धांत प्रभावित होते हैं. राज्य सरकार की इस कार्रवाई से संवैधानिक संतुलन बिगड़ सकता है और कानूनी अनिश्चितता पैदा हो सकती है.” नाना पटोले ने पत्र में कहा है कि उन्हें राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय में हस्तक्षेप करना चाहिए.”

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