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Himachal AIDS cases 5 thousand 870 syringe drug addicts affected ANN


Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में एड्स के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एड्स पर काबू पाने के लिए सरकार और एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. इससे हिमाचल के लोग जागरूक होकर जांच करवाने के लिए आगे आ रहे हैं. एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव कुमार के मुताबिक हिमाचल में मौजूदा समय में 5 हजार 870 लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं. इनमें पुरुष और महिला दोनों शामिल हैं. 

राजीव कुमार ने बताया कि इस साल सितंबर तक हिमाचल प्रदेश में एड्स के 404 मामले रिपोर्ट किए गए हैं. राज्य में कई ऐसे लोगों को भी एड्स हुआ है, जो सिरिंज से नशा ले रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में सिरिंज से नशा करने वाले व्यक्तियों की देखभाल के लिए एक मौखिक प्रतिस्थापन चिकित्सा केंद्र क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में चलाया जा रहा है.

एड्स से कैसे करें बचाव?

राजीव कुमार ने बताया कि एचआईवी/एड्स जाने-अनजाने में किसी को भी हो सकता है. गर्भावस्था में या उसके पहले तीन महीन में गर्भवती महिला अपनी एचआईवी जांच जरुर करवाना चाहिए, ताकि बच्चे को एचआईवी संक्रमण से बचाया जा सके. एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान ए.आर.टी. दवा समय देने से और बच्चा पैदा होने से तुरंत बाद नवजात शिशु को दवा देने से बच्चे को एचआईवी से बचाया जा सकता है.

हिमाचल प्रदेश में के सरकारी अस्पतालों में 55 एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र चलाए जा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में दो आईसीटी वहां भी चलाए जा रहे हैं, जो एचआईवी की जांच करते हैं. प्रदेश में दो सामुदायिक देखभाल केंद्र एचआईवी के साथ रह रहे लोगों की देखभाल के लिए शिमला और हमीरपुर में बनाए गए हैं. 

साल 1986 में आया था एड्स का पहला मामला

हिमाचल में साल 1986 में एड्स का पहला मामला हमीरपुर जिला में सामने आया था. इसके बाद एड्स धीरे-धीरे प्रदेश के अन्य हिस्सों में फैलता चला गया. इसके बाद ही एड्स कंट्रोल सोसाइटी अस्तित्व में आई. इन दिनों युवा नशे की चपेट में आते जा रहे हैं. युवा वर्ग सीरिंज के माध्यम से तरह-तरह के नशे का प्रयोग कर रहे हैं. इससे एड्स फैलने का खतरा बढ़ रहा है.

लक्षण दिखने पर करवाएं चेकअप

एड्स किसी भी आयु वर्ग के लोगों को हो सकता है. अगर किसी बच्चे की मां एड्स से पीड़ित है और वह समय पर इलाज नहीं करवाती है, तो बच्चे में एड्स होने की ज़्यादा संभावना रहती है. ऐसे में जैसे ही महिलाओं को एड्स के लक्षण दिखाई दे, तो वह तुरन्त अपना चेकअप करवाएं. एड्स कन्ट्रोल सोसाइटी शिमला के मुताबिक, हिमाचल में बीते तीन सालों में एड्स से संक्रमित गर्भवती महिलाओं के बच्चे एड्स से संक्रमित पैदा नहीं हुए हैं. चिकित्सकों का कहना है कि कुछ लोगों में अभी एड्स को लेकर भ्रांतियां है. यह रोग छूने, आपसी मेलजोल, मच्छरों एक काटने, साथ रहने या उठने बैठने, खाना खाने या कपड़े पहनने और शौचालय के प्रयोग से नहीं होता है.

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