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गुरुग्राम की सोसाइटी में जमकर बरस रहे ‘बदरा’, जानें आखिर माजरा क्या है




गुरुग्राम:

लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण से राहत के लिए गुरुग्राम की डीएलएफ प्राइमस सोसाइटी के लोगों ने एक अनोखा तरीका निकाला है. सोसाइटी के लोगों ने कृत्रिम बारिश कर वायु प्रदूषण को कम करने की कोशिश की है. दरअसल 32 मंजिली सोसाइटी के टावरों में अग्निशमन के लिए लगाई गए पाइप और स्प्रिंकलर की सहायता से कृत्रिम बारिश की गई. इस सोसाइटी में नौ टावर हैं, जिनमें 750 परिवार रहते हैं. सभी टावरों में कृत्रिम बारिश या पानी की फुहारों से प्रदूषण हटाने के इस तरीके का प्रयोग किया गया है.

वायु प्रदूषण से मिलेगी राहत

सोसाइटी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष अचल यादव ने बताया कि अग्निशमन के लिए लगाई गई, पाइप और स्प्रिंकलर की जांच सोसाइटियों में नहीं हो पाती है, किसी आपदा के समय यह काम आए इसके लिए समय पर इसकी जांच जरूरी है और गुरुग्राम की हवा जिस तरह प्रदूषित हो रही है, ऐसे में इसकी फुहारों से प्रदूषण कम होता है. इसलिए यह तरीका अपनाया जा रहा है.

इस तरह का तरीका पिछले दिनों सेक्टर 92 स्थित सारे होम्स सोसाइटी ने भी अपनाया था. वहां की सोसाइटी ने बिजली के खंभों के साथ स्प्रिंकलर को बांध कर पानी की फुहारे फेंकी थी. इस सोसाइटी के लोग सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के शोधित जल का प्रयोग प्रदूषण हटाने के लिए करते रहे हैं.

सेक्टर 82 स्थित मैप्सको कासाबेला सोसाइटी ने तीन साल पहले जब प्रदूषण बहुत ज्यादा था, तब अग्निशमन के उपकरणों को छत पर लगाकर सोसाइटी के 20 से 26 मंजिले टावरों पर भी ये प्रयोग किया था. इस बार दिवाली के समय हवा थी, इस कारण इतना ज्यादा प्रदूषण नहीं हुआ. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण बढ़ेगा तो सोसायटियां इसे अपनाएंगी. 

कार पुलिंग का भी तरीका अपनाया

गुरुग्राम की ज्यादातर सोसाइटियों में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नहीं है. हर व्यक्ति के लिए अपना निजी वाहन होना बहुत जरूरी है. सोसाइटियां शहर के बाजार, मेट्रो स्टेशन, बसस्टैंड और मॉल आदि से दूर हैं. ऐसे में कृत्रिम बारिश से प्रदूषण मुक्ति के उपाय ढ़ूढने वाली डीएलएफ प्राइमस सोसाइटी के लोगों ने कार पुलिंग का भी तरीका अपनाया है. आसपास की अन्य सोसाइटियों के साथ ग्रुप बनाकर कार पुलिंग का प्रयोग कर रहे है.

आरडब्ल्यूए अध्यक्ष अचल यादव ने कहा कि हर व्यक्ति अपनी गाड़ी नहीं निकालनी पड़े इसलिए लोग एक दूसरे के साथ कार शेयर कर रहे हैं. ग्रुप के माध्यम से गंतव्य की जानकारी लेकर लोग एकदूसरे के साथ जा रहे हैं. इससे सड़क पर वाहन कम हो रहे हैं और प्रदूषण कम हो रहा है और आर्थिक बचत भी हो रही है.

रिपोर्ट-साहिल मनचंदा

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