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बीजेपी मंडल अध्यक्ष और पत्नी सहित पूर्व सचिव पर EOW में केस दर्ज, दुकानों के गबन का मामला



<p style="text-align: justify;"><strong>MP News:</strong> भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वर्तमान मंडल अध्यक्ष सुरेश विश्वकर्मा, उनकी पत्नी सविता विश्वकर्मा और पूर्व सचिव के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में मामला दर्ज कर जांच में लिया है. यह मामला सीहोर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत झरझेड़ा में दुकानों के गबन से जुड़ा है. इसे एबीपी न्यूज ने प्राथमिकता से उठाया था.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">ग्राम पंचायत झरखेड़ा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच सविता सुरेश विश्वकर्मा और सचिव मनोहर मेवाड़ा द्वारा साल 2017 और 2019 में 17 दुकानों का निर्माण कराया गया था. इस निर्माण कार्य को लेकर कई अनियमितता सामने आई. 1 मार्च 2024 को पंचायत में कलस्टर स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान पंचायत द्वारा निर्मित दुकानों की आय के संबंध में चर्चा के दौरान दुकानदार कैलाश द्वारा बताया गया था कि अधिक राशि लेकर कम राशि की रसीद उसे दी गई है. इसके उपरांत इस पूरे मामले को लेकर जांच हुई, जिसमें कई गड़बडियां और वित्तीय अनियमिताएं सामने आईं. इसमें तत्कालीन सरपंच पति और वर्तमान बीजेपी मंडल अध्यक्ष सुरेश विश्वकर्मा की भूमिका भी शामिल थीं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जांच में यह निकला&nbsp;</strong><br />मामला उजागर होने के बाद ग्राम पंचायत झरखेड़ा में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा सूक्ष्म उद्यमियों के लिए 8 दुकानों का निर्माण पंचायत ने आम चुनाव 2022 के पूर्व कराया गया. इसके अतिरिक्त कितनी और दुकानों का निर्माण हुआ है, इसके लिए ग्राम पंचायत को शासकीय भूमि आवंटन की कोई कार्रवाई नहीं हुई. राजस्व रिकार्ड में दुकान निर्माण के लिए कोई भूमि दर्ज नहीं है. दुकान निर्माण हेतु तकनीकी स्वीकृति, प्रशासकीय स्वीकृति, मूल्यांकन संबंधी अभिलेख ग्राम पंचायत में नहीं पाए गए. दुकानों का वितरण किस रीति नीति से किया गया, इससे संबंधित कोई दस्तावेज भी प्राप्त नहीं हुए.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">ग्राम पंचायत दुकान निर्माण संबंधी वितरण तथा दुकान के संबंध में काटी गई रसीदों का कोई अभिलेख नहीं पाया गया. जांच में पाया गया है कि बिना सक्षम स्वीकृति के मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1994 की धारा 65 अंतर्गत मप्र पंचायत नियम का उल्लंघन करते हुए शासकीय भूमि को खुर्द बुर्द करने का प्रयास किया गया. इसे लेकर तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी ने जनपद पंचायत सीईओ को जुलाई माह में पत्र लिखकर पूर्व सरपंच और सचिव पर एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जिपं. सीईओ तबादल, नहीं हुई एफआईआर</strong><br />जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी के निर्देशों के बावजूद इस मामले में जनपद सीईओ द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई. मामला फिर से सुर्खियों में आया, एबीपी न्यूज ने प्राथमिकता से उठाया, जिसके बाद विपक्षी नेता और एक्टिविष्टों ने कार्रवाई की मांग करते हुए पीएमओ, सीएम और कलेक्ट्रेट कार्यालय में शिकायत की. नतीजतन अब इस मामले में तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी की जांच पर सवाल उठाते हुए अब फिर से जांच की जा रही है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया मामला</strong><br />इधर अब यह मामला आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो जा पहुंचा है. ईओडब्ल्यू की सहायक महानिरीक्षक पल्लवी त्रिवेदी ने मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव से इस मामले में तथ्यात्मक प्रतिवेदन उपलब्ध कराने को कहा है.</p>
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