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UT Day Foundation Day: नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के विधायकों ने गुरुवार को श्रीनगर के एसकेआईसीसी में आयोजित होने वाले जम्मू-कश्मीर ‘जम्मू-कश्मीर स्थापना दिवस’ समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. जानकारी के अनुसार, प्रशासन 31 अक्टूबर को ‘यूटी स्थापना दिवस’ के रूप में मनाएगा और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा होंगे. ब्यूरोक्रेट्स के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के नए विधायकों को भी निमंत्रण भेजा गया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर सरकार का मुख्य रुख है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए. राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए पहले कैबिनेट का डिसीजन प्रधानमंत्री को भी सौंप दिया गया है. इमरान डार ने कहा “जब जम्मू-कश्मीर के लोग इसे काला दिन मानते हैं तो ऐसे जश्न की क्या जरूरत है. समारोह में शामिल होने या न होने का अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से लिया जाएगा.”
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भेजा गया है निमंत्रण
मुख्यमंत्री कार्यालय ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला प्रशासन की तरफ से आयोजित इस समारोह में शामिल होंगे या नहीं. आयोजन समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस समारोह के आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय से कोई बातचीत नहीं हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को निमंत्रण भेजा गया है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों ने अभी तक इस बात की घोषणा नहीं की है कि वे केंद्र शासित प्रदेश के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होंगे या नहीं, वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.
जुनैद मट्टू का उमर अब्दुल्ला की दिल्ली यात्रा पर तंज
पूर्व मेयर जुनैद मट्टू ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की दिल्ली यात्रा पर तंज कसते हुए एक्स पर लिखा, “ऐसा लगता है कि राज्य के दर्जे के लिए कैबिनेट प्रस्ताव का कोई खास असर नहीं हुआ “. दरअसल, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर को “राज्य का दर्जा बहाल करने” के पहले कैबिनेट आदेश की प्रति सौंपी.
4 नवंबर को शुरू होगा पहला सत्र
पूर्व में जम्मू-कश्मीर राज्य को 5 अगस्त, 2019 को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था और नया जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 31 अक्टूबर को लागू हुआ था. तब से इस दिन को स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन नई निर्वाचित सरकार की स्थापना के साथ ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग भी चरम पर है. नई विधानसभा का सप्ताह भर चलने वाला पहला सत्र 4 नवंबर को शुरू होगा.
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