Pasmanda Muslims Will Explain Uniform Civil Code To Community Muslim Papulation In India
UCC Pasmanda Muslims: देश में लोकसभा के लिए होने वाले आम चुनाव से पहले मोदी सरकार यूनीफार्म सिविल कोड (UCC) लाने की तैयारी कर रही है. समान नागरिक संहिता को लेकर मुस्लिम समाज में कुछ भ्रांतियां हैं. इसका विरोध भी हो रहा है. ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जवाब में बीजेपी ने पसमांदा महाज को आगे किया है. इसको लेकर रविवार (23 जुलाई) को लखनऊ में एक बैठक हुई. इसके बाद पसमांदा मुस्लिम अपने समाज में यूसीसी को लेकर जो गलतफहमियां हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक के बाद पसमांदा महाज ने अपना नजरिया स्पष्ट किया. अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश अंसारी ने बड़े ही खुले शब्दों में कहा है कि यूसीसी लागू होने का ये मतलब कतई न निकाला जाए कि मुस्लिम को नमाज पढ़ने और रोजा रखने की इजाजत नहीं होगी.
‘वोट बैंक बने मुसलमान’
उन्होंने आगे कहा कि कुछ राजनीतिक लोगों ने मुस्लिम समाज को वोट बैंक समझकर उनका इस्तेमाल किया है. मगर अब ऐसा नहीं होगा. मुसलमान अपना भला-बुरा समझने लगा है. कभी भी कोई पार्टी मुस्लिमों की समानता के अधिकार के लिए शिक्षा और उनके रोजगार की बात नहीं करती थी. सिर्फ और सिर्फ वोट के लिए मुस्लिमों का इस्तेमाल होता रहा, लेकिन अब कतई ऐसा नहीं होगा.
इकबाल सिंह ने आगे कहा कि राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष आसिफ रशीद ने बड़ी जोरदारी से अपना मंतव्य स्पष्ट किया. उनका मानना है कि यूसीसी लागू होने से समाज की बहू-बेटियों को भी समानता का अधिकार मिलेगा. इसमें गलत क्या है? अब 15 प्रतिशत मुसलमानों की 4 शादियों के लिए मुस्लिम समाज सड़क पर नहीं उतरेगा.
पीएम मोदी ने अभी हाल में मध्य प्रदेश में पसमांदा मुसलमानों का बड़ी जोरदारी के साथ जिक्र किया था. उन्होंने खुले मंच से कहा था कि पसमांदा मुस्लिम आर्थिक, समाजिक, शिक्षा हर दृष्टि से पिछड़े हुए हैं. उन्हें भी आगे आने का मौका मिलना चाहिए. भारत में 15 परसेंट वह मुसलमान हैं जिन्हें उच्च वर्ग माना है. उन्हें अशरफ कहा जाता है.
वहीं पसमांदा शब्द मूल रूप से फारसी भाषा से लिए गया है. भारत में मुस्लिम समाज में पसमांदा महाज की हिस्सेदारी 85 फीसद है. इनमें अरजाल, अजलाफ, दलित और पिछड़े वर्ग के मुस्लिम माने जाते हैं. मुसलमा यह कदम यूसीसी के लिए कितना कारगर साबित होगा यह तो आने वाला समय ही तय कर पाएगा. सुप्रीम कोर्ट भी इसे लाने के लिए मोदी सरकार पर दबाव बनाए हुए है.
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