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Delhi High Court Denies Petition for Medical Examination of Wife to Determine if She is Transgender


दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार (23 अक्टूबर) को एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. वह शख्स याचिका में यह पता लगाने के लिए गुजारिश कर रहा था कि उसकी पत्नी कहीं ‘ट्रांसजेंडर’ तो नहीं है. इसके लिए उसने हाईकोर्ट से मेडिकल जांच की अर्जी लगाई थी.

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है और विवाह के समय धोखाधड़ी करके यह तथ्य छुपाया गया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस वजह से वह मानसिक रूप से परेशान है. न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से वैवाहिक विवाद से संबंधित है. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह कानून के तहत उचित कदम उठाए, क्योंकि रिट याचिका स्वीकार्य नहीं है.

रिट याचिका पर टिप्पणी

अदालत ने कहा, “यह एक वैवाहिक विवाद है. संबंधित अदालत से अनुरोध करें. किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई रिट जारी नहीं हो सकती.” न्यायाधीश ने कहा कि पति जो अनुरोध कर रहा है, उसके ‘व्यापक प्रभाव’ हैं. उन्होंने वकील से उचित कानूनी कार्यवाही शुरू करने को कहा. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह अपने सामने मौजूद विकल्पों पर विचार करेंगे.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि धोखे से ‘ट्रांसजेंडर’ से उसका विवाह करा दिया गया, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत वैध वैवाहिक संबंध के उसके अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि पत्नी ने उसके खिलाफ भरण-पोषण, घरेलू हिंसा और दहेज के आरोपों के लिए कई मामले दर्ज कराए हैं, लेकिन वे विचारणीय नहीं हैं, क्योंकि वह एक ट्रांसजेंडर है, महिला नहीं.

याचिकाकर्ता की मानसिक स्थिति

किसी भी केंद्रीय सरकारी अस्पताल में अपनी पत्नी की मेडिकल जांच का अनुरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि इस धोखाधड़ी से उसका “जीवन बुरी तरह प्रभावित और कलंकित हो गया है तथा उसे भारी मानसिक आघात पहुंचा है.”

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